ढोल नगाड़ो के साथ भाजपा में शामिल पूर्व कांग्रेसियों को नही मिल रहा है भाव ,बैठकों में नही बुलाने एवम बड़े नेताओ द्वारा भाव नही देने से है आहत

लोकसभा के रिजल्ट के बाद किनारे लगाने की तैयारी

देहरादून हल्द्वानी skt.com
लोकसभा चुनाव के दौरान ढोल नगाड़ों के साथ भाजपा में शामिल हुए कांग्रेसी अब भाजपा में उपेक्षित महसूस कर रहे होंगे क्योंकि पार्टी उन्हें अपनी बैठकों में बुलाने से परहेज कर रही है इसके अलावा इलाकाई नेता भी उन्हें कोई भाव नहीं दे रहे हैं ।

निकाय चुनाव को लेकर हो रही बैठकों में उनकी राय नहीं लेने तथा इन्हें बैठकों की सूचना नहीं दिए जाने की भी खबरें आ रही है लोकसभा चुनाव से पूर्व कांग्रेस के कई वर्तमान एवं पूर्व विधायक, जिला स्तरीय तथा प्रदेश स्तरीय नेता भी बड़े उम्मीद के साथ पार्टी में शामिल हुए थे कि उन्हें आने वाले चुनाव में कहीं न कहीं उनके कद के अनुसार एडजस्ट किया जाएगा लेकिन भाजपा अपने पुराने कार्यकर्ताओं को नाराज नहीं करना चाहती है इसलिए ऐसे नेताओं का निकाय और पंचायती चुनाव में नंबर लगाना भी भी दूर की कौड़ी साबित हो सकता है।
वही लोकसभा चुनाव के बाद ऐसी सूचना आ रही है कि ऐसे नेताओं को जो किसी लालच में आए हैं उन्हें खाँटी कार्यकर्ताओं पर हावी नहीं होने दिया जाएगा तथा धीरे-धीरे वह हासिए पर चले जाएंगे आपको बता दें कि लोकसभा चुनाव के साथ ही प्रदेश भर में कांग्रेसियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी में आस्था जताते हुए भाजपा का दामन थामा था।

इनमें कुछ पूर्व विधायकों के अलावा कांग्रेस के प्रदेश और जिला संगठन में बड़े पदों पर काबिज नेता भी शामिल थे। ढोल नगाड़ो और गाजे बाजे के साथ इन्होंने अपने समर्थकों के साथ भाजपा ज्वाइन की थी। उन्हें उम्मीद थी कि भाजपा में तवज्जो मिलेगी, लेकिन आशंकाएं सही साबित हुई।

पदों के लालच में भाजपा का दामन थामने वाले इन तथाकथित भाजपाइयों की उम्मीद परवान न चढ़ सकी। कुछ कांग्रेसी तो नगर निकाय चुनाव में मेयर, पार्षद और सभासद बनने की लालसा में कमल का फूल थामे थे लेकिन जॉइनिंग के साथ ही उनकी हसरत चकनाचूर हो गई। अब जबकि नगर निकाय चुनाव निकट है तो न तो भाजपा संगठन ही ऐसे नेताओं को तवज्जो दे रहा है और न ही बड़े नेता।
निकाय चुनाव को लेकर होने वाली बैठकों तक में इन पूर्व कांग्रेसियों को आमंत्रित नहीं किया जा रहा।

हालत यह है कि जॉइनिंग के साथ ही अब इन कांग्रेसियों को भाजपा में घुटन सी महसूस होने लगी है और जगह-जगह वह अपनी अनदेखी को बयां भी कर रहे हैं। उन्हें महसूस होने लगा है कि इससे अच्छा तो कांग्रेस में ही थे कम से कम पूछ तो हो रही थी।

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