उत्तराखंड के गढ़वाल के श्रीनगर के पास स्थित सिद्वपीठ धारी देवी का मंदिर उत्तराखंड ही नहीं देश विदेश में भी बहुत मशहूर है जहाँ दूर दूर से लोग अपनी मुरादें लेकर आते है और उनकी मनोकामना पूर्ण होती है। मंदिर के पुजारी और स्थानीय लोग बताते हैं कि देवी मां का रूप दिन में तीन बार अलग-अलग प्रकार का देखने को मिलता है।
तीन बार रूप बदलती है मूर्ति रूप
मां धारी देवी के मंदिर में सुबह के समय मां धारी देवी की मूर्ति एक कन्या की तरह नजर आती है। दोपहर के समय मूर्ति एक युवती के रूप में नजर आने लगती है और शाम के समय में मां धारी देवी की मूर्ति एक बूढ़ी महिला के रूप में नज़र आती है। मां के शक्ति पीठों में एक सिद्वपीठ धारी देवी मंदिर में भक्तों का हूजुम उमड़ना शुरू हो गया है। नौ दिनों तक मां के विभिन्न स्वरूपों को पूजा जाएगा।
नवरात्रों में धारी देवी मंदिर में उमड़ा आस्था का सैलाब
धारी देवी मंदिर में श्रद्वालु वैसे तो हमेशा पहुंचते हैं। लेकिन नवरात्रों के समय यहां बड़ी संख्या में श्रद्वालु माता रानी के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं। यहां मां के काली स्वरूप की पूजा अर्चना होती है। अलकनंदा के बीचों बीच कत्यूरी शैली में बना मां धारी देवी का मंदिर भव्य है जो अपने आप में एक आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है।
दर्शन के लिए लगानी पड़ रही हैं कई कतारें
चैत्र नवरात्रि में देश विदेश से श्रद्धालु धारी देवी मंदिर पहुंच रहे हैं मंदिर में सुबह पांच बजे से ही श्रद्धालुओं का तांता लगना शुरू हो गया है। धारी देवी मंदिर के पुजारी रमेश चंद पांडेय ने बताया सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ मंदिर में लग जाती है। इसकी व्यवस्था बनाने के लिए पुलिस की मदद ली जा रही है। मंदिर में चार लाइनों के जरिये भगवती के दर्शन करवाए जा रहे हैं।