उत्तराखंड को देवभूमि के नाम से भी जाना जाता है। यहां हर कदम पर आपको किसी ना किसी देवी-देवता का मंदिर मिलेगा। मां नंदा जिन्हें शिव की पत्नी भी कहा जाता है उनका मायका भी उत्तराखंड ही है। इसलिए उत्तराखंड में मां दुर्गा के कई स्वरूपों की पूजा होती है। मां नंदा देवी से लेकर मां नैना देवी के रूप में यहां दुर्गा भगवती की पूजा होती है। नवरात्रों में आप उत्तराखंड के कुछ ऐसे दुर्गा मंदिरों के दर्शन कर सकते हैं जहां आपकी हर मनोकामना पूरी होगी।
नवरात्रि में करें उत्तराखंड के मां दुर्गा के इन मंदिरों के दर्शन
देवभूमि उत्तराखंड में हर ओर माता रानी का वास है। पहाड़ से लेकर मैदान तक माता रानी बसी हुई है। कहीं पर्वत शिखरों पर तो कहीं नदी किनारे माता रानी के मंदिर स्थित हैं। जहां एक ओर बीच नदी में मां धारी देवी का मंदिर है। जहां मूर्ति दिन में तीन बार रूप बदलती है तो वहीं पिथौरागढ़ की खूबसूरत वादियों में मां कोट भ्रामरी का मंदिर है जहां लोगों को न्याय मिलता है।
धारी देवी मंदिर में दिन में तीन बार रुप बदलती है मूर्ति
धारी देवी मंदिर उत्तराखंड के पौड़ी जिले के श्रीनगर से करीब चौदह किमी की दूरी पर स्थित है। यहां माता रानी की मूर्ति दिन में तीन बार अपना रूप बदलती है। इन्हें उत्तराखंड की रक्षक देवी भी कहा जाता है। यहां पर मां के सिर की पूजा होती है। कहा जाता है कि मां धारी की ये मूर्ति एक दिन में तीन बार अपना रूप बदलती है।
सुबह-सुबह ये छोटी सी मासूम कन्या में परिवर्तित हो जाती हैं। दिन में सुन्दर सी युवती और शाम में मां धारी वृद्धा रूप में दिखाई देती है। मां धारी की प्रसिद्धि अनंत काल से चली आ रही है।हर साल नवरात्रों में यहां माता रानी की विशेष पूजा की जाती है। दूर-दूर से लोग यहां मां धारी देवी का आशीर्वाद लेने के लिए पहुंचते हैं। कहा जाता है कि यहां सच्चे मन से मांगी गई हर मनोकामना पूरी होती है।
मां स्याही देवी का रहस्यमयी धाम
मां स्याही देवी का मंदिर उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में स्थित है। ये मंदिर अल्मोड़ा शहर से 35 किलोमीटर की दूरी पर हवालबाग ब्लॉक के शीतलाखेत की ऊंची पहाड़ियों पर स्याही देवी मंदिर विराजती हैं। इन्हें शाही देवी के नाम से भी जाना जाता है। स्याही देवी मंदिर को अगर आप दूर कहीं से देखेंगे तो आपको इस पहाड़ पर पेड़ों से बनी हुई शेर कि आकृति दिखाई देगी।
स्याही देवी मंदिर में साल भर काफी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। ऐसा कहा जाता है कि जो भी सच्चे मन से मां के चरणों में मन्नत मांगता है उसकी सारी मुरादें पूरी होती हैं। मनोकामना पूरी होने के बाद लोग इस मंदिर में घंटियां चढ़ाते हैं। माता रानी का मंदिर जिस स्थान पर स्थित है वो स्थान अत्यंत रमणीक है। ये स्थान अपने मौसम, स्थान और दृश्यों के लिए अद्भुत है। यहां से आप नंदा देवी पर्वत श्रृखंला का मनोरम दृश्य देख सकते हैं।
मां कोटगाड़ी के दरबार में होता है पांच पुश्तों का
उत्तराखंड के न्याय देवता गोलू देवता को हर कोई जानता है। ऐसा ही मां दुर्गा का मंदिर उत्तराखंड में है जहां माता रानी अपने भक्तों का न्याय करती है। कोटगाड़ी देवी को माता भगवती का स्वरुप माना जाता है। यहां मां भगवती वैष्णवी रुप में पूजी जाती है। माता कोटगाड़ी के दरबार में लोग न्याय के लिए न्यायालयों से दिए गए निर्णयों को स्टांप पेपर में लिखकर यहां जमा करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि जिसे कहीं न्याय नहीं मिलता मां उन्हें न्याय देती है।
लोगों का यहां तक मानना है की कोटगाड़ी देवी के इस धाम में पांच पुश्त पहले दिए अन्यायपूर्ण फैसलों पर भी सुनवाई होती है। इसके साथ ही लोगों का उनका मानना है की उन्हें कहीं से न्याय मिले ना मिले लेकिन माता के दरबार में जरुर उनका फैसला होगा माता कोटगाड़ी जरूर उन्हें न्याय देगी। यहां मांगी गई हर मुराद माता रानी पूरी करती है।
बेहद खास है नैनीताल का नैना देवी मंदिर
झीलों का शहर नैनीताल जितना अपनी खूबसूरती के लिए मशहूर है उतना ही यहां स्थित नैना देवी मंदिर के लिए भी है। नैनी झील के उत्तरी किनारे पर प्रसिद्ध शक्ति पीठ नैना देवी मंदिर स्थित है। इस पवित्र मंदिर में देवी को उनकी दो आंखों से दर्शाया गया है। देवी का ये मंदिर शक्तिपीठों में से एक है।
साल भर मां नैना देवी के दर्शन के लिए मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहता है। मंदिर में श्रद्धालुओं की इतनी भीड़ होती है कि लोगों को दर्शन के लिए लंबी-लंबी कतारों में लगना पड़ता है। हिंदू धर्मग्रंथ में नैना देवी मंदिर का ऐतिहासिक महत्व है। ऐसा माना जाता है कि ये वही स्थान है जहां पर माता देवी सती की आंखें गिरी थीं। इसीलिए यहां आंखों की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि यहां मांगी गई हर मनोकामना पूरी होती है।