


लोहाघाट / हल्द्वानी। लोहाघाट में ग्राम पंचायत मौड़ा के ग्राम प्रधान पद पर दो सगे भाइयों के बीच चुनावी मुकाबला हुआ। इसमें बड़े ने अपने सगे छोटे भाई को 30 वोट से हराया। बड़े भाई को 144 और छोटे भाई को 114 वोट मिले।
इस सीट पर पूर्व फौजी दिलीप सिंह ने चुनाव लड़ने का मन बनाया। इस बीच कुछ लोगों ने दिलीप के सगे छोटे भाई मोहन सिंह को भी इस सीट पर चुनाव मैदान में उतार दिया। गुरुवार को मतगणना पूरी होन के साथ यहा ग्राम प्रधान के पद पर बड़े भाई दिलीपने बाजी मारी। चुनाव जीतने के बाद पूर्व फौजी दिलीप सिंह ने चताया कि इस चुनाव में अपने घर के ही वोट हासिल करने में खासे विवाद का सामना करना पड़ा। दिलीप बोले, हालांकि उन्होंने अपनी माँ समेत अन्य पारिवारिक लोगों को वोट देने के लिए किसी तरह का कोई दवाव नहीं बनाया।
दो बार विधायक चुनाव हारे, अब बने बीडीसी सदस्य : लोहाघाट। विधानसभा सीट लोहाघाट में दो बार विधायक का चुनाव हारने के बाद विकासखंड क्षेत्र की जाख जिंडी सीट से बीडीसी सदस्य का चुनाव जीतने पर प्रकाश सिंह धामी के चेहरे में अलग ही खुशी नजर आई।
उन्होंने कहा कि क्षेत्र के विकास के लिए वह हमेशा तत्पर रहे हैं। वर्ष 2017 और वर्ष 2022 में प्रकाश सिंह क्रमशः दो बार लोहाघाट से विधानसभा चुनाव लड़े। लेकिन दोनों बार ही वह चुनाव हार गए। इस बार प्रकाश पूरे जोश के साथ बीडीसी सदस्य के लिए चुनाव मैदान में उतरे। इस चुनाव में उन्होंने अपने प्रकाश सिंह प्रतहिंदी देवकी नंदन को 119 मतों से हराया। प्रकाश को को 182 मत पड़े, देवकी नंदन को 63, मुकेश कुमार को और रीता देवी को क्रमशः 29-29 वोट मिले।
22 वर्ष के संघर्ष के बाद भूपाल को पांचवें चुनाव में मिली प्रधानीः पिथौरागढ़। लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती… यह कहावत डीडीहाट खेतार कन्याल के रहने वाले भुपाल राम पर एकदम सटीक बैठती है। अवसर लोग एक असफलता मिलने पर ही
अपने सपने को पीछे छोड़ देते हैं, लेकिन भूपाल ने चार लगातार असफलता के बाद भी हार नहीं मानी। करीब 23-24 वर्ष की उम्र में ग्राम प्रधान बनने का सपना संजाने वाले भूपाल अब अधेड़ वय की दहलीज के करीब पहुंचकर ग्राम प्रधान निर्वाचित हुए हैं।
इस बार तीन प्रत्याशी भूपाल सहित दिनेश कुमार और मुन्नी देवी चुनाव मैदान में थे। भूपाल को सबसे अधिक 252 मत पड़े। दिनेश कुमार के खाते में 225 मत आए। मुन्नी देवी पर महज 19 मतदाताओं ने ही भरोसा जताया।
भूपाल बताते हैं कि वह वर्ष 2003 से लगातार पंचायत चुनाव में ग्राम प्रधान पद के लिए मैदान में उतर रहे थे। यह उनका पांचवां चुनाव है। भूपाल बताते है कि चुनाव में अब तक लगातार हार मिलने के बाद एक समय ऐसा भी आया जब उनका धैर्य जवाब देने लगा। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और ठानी कि जब तक ग्राम प्रधान नहीं बन जाएंगे, चुनाव लड़ना जारी रखेंगे। भूपाल ने बताया कि पिछले चुनावों से सबक लेकर नए जोश के साथ वह फिर मैदान में उतरे। इस बार मतदाताओं ने उन पर भरोसा जताया है।