उत्तराखंड की वादियों में कई ऐसे धाम छिपे हैं जो अपने आंचल में कई रहस्य समेटे हुए हैं. इन्हीं में से एक रहस्यमई मंदिर चमोली में भी है जो साल में सिर्फ एक बार खुलता है फिर भी यहां किसी भी श्रद्धालु को भगवान के दर्शन करने की इजाजत नहीं है ना सिर्फ भक्त बल्कि इस मंदिर के अंदर यहां के पुजारी भी आंखों में पट्टी और मुंह बांधकर पूजा करने जाते हैं. जानते हैं इस आर्टिकल में कि ऐसा क्या छिपा है इस मंदिर की चार दीवारी के अंदर जो यहां किसी का भी प्रवेश करना वर्जित है.
हम बात कर रहे हैं उत्तराखंड के चमोली में स्थित लाटू देवता के मंदिर की. ये मंदिर उन्हीं में से एक है, जो आज तक एक अनसुलझी पहेली बना हुआ है. लाटू देवता का ये मंदिर न सिर्फ अपने खास रीति-रिवाजों के लिए जाना जाता है, बल्कि इसकी पूजा पद्धति और परम्पराएं भी इसे दूसरे मंदिरों से अलग बनाती हैं.
ये है लाटू देवता मंदिर की पौराणिक मान्यताओं (Mythological beliefs of Latu Devta Temple)
पौराणिक मान्यताओं की मानें तो लाटू देवता मां नंदा के भाई माने जाते हैं. कहा जाता है की मां नंदा का कोई भाई नहीं था और उन्हें भाई की कमी हमेशा खलती थी. वो सोचती थी की काश मेरा भी कोई भाई होता जो मेरे लिए भिटोली लेकर आता और मुझे ससुराल छोड़ने के लिए जाता. भगवान शिव से मां नंदा का ये दुख देखा नहीं गया जिसके बाद उन्होंने नंदा से कहा कि तुम कन्नौज जाओ और वहां के राजा के छोटे बेटे लाटू को अपना धर्म भाई बना लो. मां नंदा ने भगवान शिव की बात मान ली और कन्नौज चली गई.
नंदा को राजा के महल में देख कन्नौज की रानी मैणा काफी खुश हुई उन्हें लगा जैसे उनके घर में एक बेटी आ गई हो. तब नंदा ने मैणा से लाटू को अपना भाई बनाकर अपने साथ ले जाने की बात कही और मैणा मान गई. जब मां नंदा अपने ससुराल लौटने लगी तो उनका भाई समेत सभी गांव वाले उन्हें विदा करने के लिए आए, जब नंदा की डोली वाण गांव पहुंची तो मां नंदा नदी में नहाने चली गई. इसी बीच लाटू को प्यास लगी और वो पानी लेने एक घर में चला गया. जहां एक बूढ़े ने उनसे गगरी में से पानी लेने के लिए कहा पर वहां दो गगरी रखी थी. जिसमें से लाटू गलती से कच्ची शराब वाली गगरी पानी समझकर पी जाता है.
ये है किवदंतिया
एक किवदंती के मुताबिक इसके बाद लाटू नशे में खूब उत्पात मचाने लगता है. जिसके बाद मां नंदा गुस्से में उसे वहीं कैद रहने का आदेश दे देती है. अन्य किवदंती के अलावा कहा जाता है की शराब पीने के बाद लाटू गीर पड़ा. जिस वजह से उसकी जीभ कट गई और वहीं पर उसकी मृत्यु हो गई. जिसके बाद नंदा ने लाटू को वचन दिया की तुम हमेशा यहीं रहोगे और जब मैं अपने ससुराल जाऊंगी तो यहां से आगे तुम मेरी अगवानी करोगे.
मंदिर में इस वजह से मुंह और आंख पर पट्टी बांधकर पुजा करते हैं पुजारी
इसी वजह से लाटू देवता का ये मंदिर नंदा राजजात यात्रा का सबसे बड़ा पड़ाव है. जब नंदा की डोली यहां रुकती है तो और अपने भाई लाटू से मुलाकात करती है. बाण गांव से आगे लाटू देवता अपनी बहन की अगवानी करते हैं. लोगों का मानना है की साल में सिर्फ एक दिन खुलने वाले इस रहस्यमई मंदिर में लाटू देवता नागराज के रुप में अपनी मणि के साथ विराजमान हैं. इसलिए मंदिर के गर्भगृह में किसी को जाने की इजाजत नहीं होती और यहां के पुजारी भी जब मंदिर में प्रवेश करते हैं, तो उनकी आंखो पर पट्टी और मुंह पर कपड़ा बंधा होता है. ताकी नाग देवता का विष नाक के जरिए उनके अंदर ना चला जाए और मणि की चमक से पुजारी की आंखों की रोशनी ना जाए