देहरादून के ऐतिहासिक झंडेजी मेले का आगाज 30 मार्च से होने जा रहा है। झंडेजी मेले में देश-विदेश से संगत बड़ी संख्या में दरबार साहिब पहुंचना शुरू हो गई है। हर वर्ष होली के पांचवें दिन देहरादून में झंडा मेला आयोजित किया जाता है। बता दें देहरादून का झंडा मेला 348 साल का गौरव है। इस मेले में देश-विदेश से श्रद्धालु पहुंचते हैं।
झंडे मेले की परिक्रमा करता है बाज
मान्यता है कि हर साल जैसे ही झंडेजी का आरोहण होता है। एक बाज परिक्रमा करते हुए उनके ऊपर से गुजरता है। इसे गुरु रामराय महाराज की सूक्ष्म उपस्थिति एवं आशीर्वाद माना जाता है। बताया जाता है की यह बाज हर साल झंडेजी के आरोहण पर परिक्रमा करता है। इसे गुरु महाराज का आशीर्वाद माना जाता है।
कौन हैं श्री गुरु रामराय जी महाराज ?
झंडेजी मेले का इतिहास देहरादून के अस्तित्व से जुड़ा हुआ है। श्री गुरु रामराय महाराज जी का देहरादून आगमन 1676 में हुआ था। गुरु महाराज जी ने श्री दरबार साहिब में लोक कल्याण के लिए एक विशाल झंडा लगाकर लोगों को इस ध्वज से आशीर्वाद प्राप्त करने का संदेश दिया था।
देहरादून के संस्थापक हैं गुरु रामराय महाराज
इसके साथ ही श्री झंडा साहिब के दर्शन की परंपरा शुरू हुई। गुरु रामराय महाराज को देहरादून का संस्थापक कहा जाता है। गुरु रामराय महाराज जी सिखों के सातवें गुरु हरराय के बड़े पुत्र थे। उनका जन्म होली के पांचवें दिन वर्ष 1646 को पंजाब के जिला होशियारपुर के कीरतपुर गांव में हुआ था।