Jio Coin vs Pi Coin: भारतीय डिजिटल मार्केट पर किस क्रिप्टोकरेंसी का पड़ेगा गहरा असर?

Jio Coin vs Pi Coin

अगर दस साल पहले क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) की बात की जाती तो इसके बारे में सोचना और इसको स्वीकार करना थोड़ा मुश्किल होता। लेकिन बीते कुछ सालों में क्रिप्टो मार्केट तेजी से बढ़ा है। इस रेस में अब भारत भी शामिल हो गया है। यहां तक की भारत ने खुद का क्रिप्टो भी शुरु कर दिया है। हाल ही में रिलायंस का Jio Coin काफी सुर्खियों में रहा था। इसके बाद बीते दिन यानी 20 फरवरी को Pi Coin को Exchanges पर लिस्ट किया गया।

दोनों ही क्वाइन(Jio Coin vs Pi Coin) की काफी चर्चा हो रही है। हालांकि दोनों अभी अपने प्री-स्टेज में हैं। पाई क्वाइन को एक डिसेंट्रलाइज्ड डिजिटल इकोनॉमी की ओर बढ़ते कदम के रूप में देखा जा रहा है। जहां लोग अपने मोबाइल से इसे माइन कर सकते हैं। दूसरी ओर Jio Coin को रिलायंस के डिजिटल इकोसिस्टम का हिस्सा बनाने की योजना है जिससे इसे भारत में तेजी से अपनाया जा सकता है। लेकिन इनका प्रभाव भारतीय डिजिटल मार्केट पर गहरा पड़ सकता है।

क्या है Pi Coin?

क्रिप्टोकरेंसी Pi Coin को स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के ग्रेजुएट्स ने डेवलप की है। इसमें मोबाइल से आसानी से माइनिंग की जा सकती है। विशेष क्रिप्टोकरेंसी प्लेटफॉर्म Pi Network पर यूजर्स Pi Coin की माइनिंग और लेन-देन कर सकते है। Pi Network यूजर्स को मोबाइल के माध्यम से ये सुविधा प्रदान करता है। अपने ब्लॉकचेन इकोसिस्टम पर आधारित ये प्लेटफॉर्म अलग-अलग एप्लेकेशन को सपोर्ट करता है। इससे डेवलपर्स नए इनोवेटिव टूल्स और सेवाएं विकसित कर सकते है।

क्या है Jio Coin?

भारत की प्रमुख टेलीकॉम कंपनी Reliance Jio का क्वाइन Jio Coin (Jio Coin) को हाल ही में लॉन्च किया गया। ये कदम भारतीय डिजिटल और क्रिप्टोकरेंसी की दुनिया में अहम माना जा रहा है। पॉलीगॉन ब्लॉकचेन पर आधारित ये टोकन यूजर्स अलग-अलग एक्टिविटिज कर रिवॉर्ड के रूप में पा सकते है। जियो क्वाइन एक डिजिटल करेंसी है।

हालांकि इसे क्रिप्टोकरेंसी नहीं कहा जा सकता। आसान भाषा में समझा जाए तो रिलायंस जियो का रिवॉर्ड टोकन है। इसे हम डिजिटल लॉयल्टी प्वाइंट भी कह सकते है।इसका इस्तेमाल यूजर जियो सर्विस ऑफर करने वाले ऐप्स में कर सकेंगे। रही बात इस क्वाइन को खरीदने की तो इसे जियो ऐप्स पर खरीदारी कर कमाया जा सकता है। इन क्वाइन को फिलहाल तो यूजर जियो ऐप्स में डिस्काउंट पाने के लिए यूज कर पाएंगे। आगे जाकर ये क्रिप्टोकरेंसी का रूप ले सकती है।

क्या है अंतर

  • माइनिंग और एक्सेसिबिलिटी
    PI COIN : स्मार्टफोन यूजर माइन कर सकता है
    JIO COIN : पब्लिक माइनिंग नहीं
  • रियल वर्ल्ड में उपयोग
    PI COIN : Exchanges पर हुआ लिस्ट
    JIO COIN रिलायंस के बिजनेस मॉडल में शामिल होने की उम्मीद
  • स्वीकृति और मार्केट एक्सेस
    PI COIN : डिसेंट्रलाइज्ड नेटवर्क में ट्रांजिशन
    JIO COIN: कॉर्पोरेट सपोर्ट, क्विक एक्सेप्टेंस

चुनौतियां और खतरा

Pi Coin के साथ सबसे बड़ा जोखिम ये है कि ये Exchanges पर लिस्ट होते ही इसकी कीमत में गिरावट देखने को मिली। इसकी कीमत में उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है। तो वहीं Jio Coin पूरी तरह से सेंट्रलाइज्ड है। ये पूरी तरह से रिलायंस के इकोसिस्टम पर निर्भर करेगा।

अन्य जोखिम जो क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े होते है जैसे कि क्वाइन्स की बाजार में अस्थिरता जो वैल्यू में गिरावट और बढ़ोतरी कर सकती है। इसके अलावा साइबर सिक्योरिटी और साइबर हमलों का खतरा भी बना रहता है। ऐसे में ये कहना थोड़ा मुश्किल होगा कि आने वाले टाइम में क्रिप्टो में कौन बेहतर परफॉर्म करेगा।

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