कौन झुकेगा वसुंधरा या दिल्ली दरबार

जयपुर skt .com
बीजेपी राजस्थान में अभी तक विधायक दल की बैठक के लिए तिथि घोषित नहीं कर पाई है इसके पीछे एक और मुख्य कारण यह है कि वसुंधरा राजे अपना आखिरी दावा खेलना चाह रही है और उनके आवास पर 40 से अधिक विधायकों का जमघट लगा हुआ है।


सूत्र यह बता रहे कि यह संख्या और अधिक बढ़ सकती है वसुंधरा राजे ने दिल्ली दरबार को यह जता दिया है कि 40 विधायकों की गिनती उसके पास है तो इसलिए वह उन्हें नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं ।

अब यह समय बताया कि दिल्ली दरबार वसुंधरा को नजरअंदाज कर पता है या वसुंधरा दिल्ली दरबार को झुका कर खुद मुख्यमंत्री बन पाती है।
वही वसुंधरा राजे ने अपने समर्थक विधायकों को रिसोर्ट में इकट्ठा किया हुआ है भारतीय जनता पार्टी के लिए यह सबसे बड़ी कठिन घड़ी है जब वह दूसरी पार्टियों में उनके क्षेत्रीय बड़े नेताओं को अपनी और करके पार्टी में टूट का कारण बनाते थे वही आज खुद भारतीय जनता पार्टी के लिए खुद ही टूटने का समय भी सामने दिख रहा है।

अगर वसुंधरा भाजपा से अलग हो जाती है तो उनके 40 विधायकों पर दल बदल कानून भी नहीं लग पाएगा और वह गहलोत के साथ भी जुगलबंदी कर सकती है वसुंधरा ने जान लिया है कि अगर वह इस समय झुक गई तो उन्हें केंद्र की राजनीति करनी पड़ेगी अथवा वह मार्गदर्शन मंडल में डाल दी जाएंगी।

इसलिए वह आखरी दाव खेलना चाहती हैं अगर वह मुख्यमंत्री बनने में सफल रही तो अगले 5 साल तक वह मुख्यमंत्री रहेंगे और उसके बाद भाजपा के दिल्ली दरबार में क्या परिवर्तन होता है उसके बाद ही शेष भविष्य के बारे में सोचा जाएगा वही भाजपा के लिए भी यह बड़ा असमंजस का विषय है कि झारखंड और मध्य प्रदेश में जहां पर्यवेक्षक भेज दिए गए हैं वही राजस्थान में उसके लिए टेढ़ी खीर बन चुकी है कांग्रेस के नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी इस पूरे मामले पर नजर बनाए हुए हैं वह आल्हा कमान के संपर्क में है बताया जा रहा है कि अलग-अलग उन्हें फ्री हैंड देने के मूड में है वह किसी भी तरह से भाजपा की सरकार बनने से भी रोकना चाह रहे होंगे इसलिए गहलोत जो की राजनीति के मजे हुए खिलाड़ी हैं वह वसुंधरा के साथ जुगलबंदी भी कर सकते हैं ।

अब यह समय आ गया है कि वसुंधरा अपना आखिरी दाव किस तरह से खेलेंगे वह खुद मुख्यमंत्री बनेगी या जोर जबरदस्ती से मुख्यमंत्री अपने आप को बनवा लेंगे या किसी और को मुख्यमंत्री बनवा देंगे अब यह सारे विकल्प उसके सामने है भाजपा को भी अब यह सोचना होगा कि अगर वह वसुंधरा को नजरअंदाज करते हैं तो आने वाले समय में राजस्थान में उसे काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है फिलहाल आला कमान भारतीय जनता पार्टी का इस मामले पर चौकन्ना है और उसने इस संकट मोचन के लिए राजनाथ सिंह को भेज दिया है राजनाथ सिंह ही है जो इस मामले में अपना असर दिखा सकते हैं वही है जो वसुंधरा को मान मनोवल से मनवा सकते हैं वही वसुंधरा ने अपने बेटे दुष्यंत सिंह के साथ दिल्ली का दौरा भी किया है उन्होंने राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी लड़ा से भी मुलाकात की है और वही मोदी शाह की जोड़ी ने जेपी नड्डा को भी राजस्थान का मामला देखने को कहा है राजस्थान में जहां तापमान ठंड हो रहा है वहीं ववहां की राजनीतिक तापमान काफी गर्मी बढ़ चुकी है अगर राजस्थान में भाजपा अपने मनपसंद का मुख्यमंत्री नहीं बना पाई और वसुंधरा को ही मुख्यमंत्री बनना पड़ा तो यह माना जाएगा कि भाजपा में मोदी साह की जोड़ी वसुंधरा राजे का अपना ही दरबार चलता है।

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