माँ एवं बाबू की मौत का सदमा झेल नही पाई किरण, आग लगाकर कर दी जीवनलीला..

the मिसाइल न्यूज़

अल्मोड़ा- कहां जाता है की मां-बाप का साया जब तक सर पर होता है तब तक कोई भी इंसान दुनिया से लड़ लेता है लेकिन जब मां-बाप का साया सर से हट जाता है तो इंसान भर में हो जाता है अथवा अवसाद में चला जाता है और उसके बाद भी अगर नहीं समझा तो अपना जिंदगी समाप्त कर लेता है ऐसा ही एक मामला अल्मोड़ा के धनिया से सामने आ रहा है जहां वयस्क हो चुकी 23 वर्षी किरण मां-बाप के चले जाने के बाद इतनी टूट चुकी थी उसने मौत को गले लगा लिया

जानकारी के अनुसार सड़क हादसे में अल्मोड़ा के एक व्यक्ति की जान चली गई। कुछ दिन बाद सदमे में उसकी पत्नी ने भी दम तोड़ दिया और बच्चे अनाथ हो गए। एक साल से माता-पिता के अचानक जाने का दंश झेल रही बेटी भी इस सदमे को बर्दाश्त नहीं कर पाई और उसने खुद पर पेट्रोल डालकर आग लगी ली। उपचार के दौरान उसकी एसटीएच में मौत हो गई। पुलिस ने पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों के सुपुर्द कर दिया।

दन्या अल्मोड़ा निवासी मोहन चंद्र पालीवाल की एक साल पहले सड़क हादसे में मौत हो गई थी। मोहन की मौत का सदमा उनकी पत्नी बर्दाश्त नहीं कर पाईं और कुछ समय पहले पत्नी की मौत हो गई। पति-पत्नी की मौत के बाद उनके दो बच्चे अनाथ हो गए थे। हालांकि मोहन के भाई उनके बच्चों का ख्याल रख रहे थे, लेकिन इससे बच्चों का दर्द कम नहीं हुआ।

पहले पिता और फिर मां की मौत का सदमा 23 वर्ष की किरन से बर्दाश्त नहीं हुआ और वह अवसाद में चली गई। परिजनों के मुताबिक धीरे-धीरे उसका मानसिक संतुलन बिगड़ने लगा था। 31 जनवरी को किरन ने खुद पर पेट्रोल उड़ेलकर आग लगा ली थी। परिजनों ने किसी तरह आग पर काबू पाया, लेकिन तब तक वह करीब 60 प्रतिशत जल चुकी थी।

आनन-फानन में उसे अल्मोड़ा अस्पताल ले जाया गया, जहां हालत नाजुक होने पर चिकित्सकों ने उसे डॉ.सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय रेफर कर दिया। यहां अगले दिन शनिवार को उसने दम तोड़ दिया। परिजनों ने पुलिस को बताया कि पिता की मौत के बाद किरन ने पहले भी जहर खाकर आत्महत्या का प्रयास किया था।

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