जानिेए कौन हैं ऑपरेशन सिंदूर की Colonel Sophia Qureshi? इतिहास में पहले से दर्ज है नाम

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Who is Colonel Sophia Qureshi: पाकिस्तान और PoK यानी पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में भारतीय सेना ने सटीकता और ताकत से आतंकी ठिकानों को तबाह किया है। इसका असर सिर्फ सीमा पार नहीं बल्कि दुनियाभर में देखने को मिला।

बुधवार को इस कार्रवाई को लेकर भारतीय थल सेना और वायु सेना की ओर से प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई। सबकी नजरें उस अफसर पर थीं जिन्होंने ऑपरेशन सिंदूर के बारे में एक-एक बात बताई। और वो थी कर्नल सोफिया कुरैशी(Colonel Sophia Qureshi)। इसके बाद से ही सभी के मन में सवाल है कि आखिर कर्नल सोफिया कुरैशी है कौन? चलिए इस आर्टिकल में आपके इस सवाल का जवाब दे देते है।

गुजरात की बेटी है कर्नल सोफिया कुरैशी Who is Colonel Sophia Qureshi

कर्नल सोफिया का नाम भारतीय सेना के इतिहास में पहले से दर्ज है। गुजरात से ताल्लुक रखने वालीं ये अफसर ‘कोर ऑफ सिग्नल्स’ से हैं। वो बायो-केमिस्ट्री में पोस्ट-ग्रेजुएट हैं। सेना उनके खून में है। दादाजी भी फौज में थे। उनका जीवनसाथी भी एक आर्मी ऑफिसर हैं। जो मैकेनाइज्ड इन्फेंट्री में तैनात हैं।

इतिहास में पहले से दर्ज है नाम

Colonel Sophia Qureshi उस समय चर्चा में आई थीं जब उन्होंने ‘फोर्स 18’ नामक मल्टी-नेशनल मिलिट्री एक्सरसाइज में भारत की ओर से ट्रेनिंग टुकड़ी का नेतृत्व किया था। ये कोई साधारण ड्रिल नहीं थी। 18 देशों की फौजों का एक साथ अभ्यास। जहां उन्होंने शांति स्थापना की रणनीतियों पर फोकस किया। वो इस तरह की अभ्यास की अगुवाई करने वाली भारतीय सेना की पहली महिला अफसर बनीं।

ऑपरेशन सिंदूर में निभाई अहम भूमिका

पीओके में आतंक के अड्डों पर हुई कार्रवाई को लेकर जब मीडिया के सामने सेना का बयान आया। तो इसे साझा करने की ज़िम्मेदारी कर्नल सोफिया कुरैशी के कंधों पर थी। आत्मविश्वास से भरी उनकी मौजूदगी ने ना सिर्फ देशवासियों का भरोसा मजबूत किया। बल्कि एक बार फिर ये साफ कर दिया कि भारतीय सेना में लीडरशिप जेंडर नहीं काबिलियत देखती है।

शांति से युद्ध तक

कर्नल सोफिया का करियर सिर्फ एक्शन तक सीमित नहीं रहा। 2006 में वे संयुक्त राष्ट्र के तहत कांगो में शांति मिशन का हिस्सा रही थीं। उनका कहना है कि ऐसी ड्यूटी में सीजफायर की निगरानी, लोकल संघर्षों को हल करना और सामाजिक स्थिरता लाने का काम बहुत संवेदनशील होता है। यही अनुभव शायद आज उन्हें मैदान और मीटिंग दोनों जगह मजबूत बनाता है।

लीडरशिप मायने रखती है

कर्नल सोफिया के काम को लेकर एक बार साउदर्न कमांड के उस वक्त के आर्मी कमांडर जनरल बिपिन रावत ने कहा था—“उनका चुनाव उनके कौशल और नेतृत्व क्षमता के आधार पर हुआ है, न कि इसलिए क्योंकि वह एक महिला हैं।”

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