किस्मत या जनून-जिस निगम में रहे सफाई कर्मी वही बन गए मेयर

चंडीगढ़ कुलदीप कुमार टीटा ने कभी यह सोचा था या नहीं कि आशीष नगर निगम में सफाई कर्मचारी के तौर पर कार्य कर रहे हैं सिर्फ 5 वर्ष के बाद ही वह इस नगर निगम की सबसे बड़ी मेयर की कुर्सी पर विराजमान हो जाएंगे।

इसे किस्मत कहें या फिर बुलंदी का सितारा इतना मजबूत है कि चुनाव में हर घोषित होने के बाद भी हिम्मत न हारने से तथा हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में लंबी लड़ाई लड़ने के बाद उन्हें मेयर घोषित कर दिया गया। मंगलवार मेयर कुलदीप कुमार के लिए दोहरी खुशी का दिन रहा। इसी दिन देश की शीर्ष अदालत के आदेश पर वह जहां शहर मेयर बने, वहीं उनकी शादी की 17वीं सालगिरह थी। उन्होंने कहा कि वह बहुत भाग्यशाली हैं कि मेयर की कुर्सी उन्हें शादी की सालगिरह के दिन मिली।

अनुसूचित जाति से आने वाले कुलदीप कुमार को जब 30 जनवरी को मेयर चुनाव में हारा हुआ घोषित किया गया था तो वह रो पड़े थे, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। 21 दिन तक अदालत में लड़ाई लड़ी। हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक गए और आखिरकार जीतकर दोबारा मेयर की कुर्सी पर बैठे। कुलदीप के मेयर बनने पर उनकी पत्नी ममता बेहद खुश हैं।
कुलदीप ने पंजाब बोर्ड से 2005 में 12वीं की परीक्षा पास की थी। 40 साल के कुलदीप को उनके दोस्त टीटा कहकर बुलाते हैं। वह राजनीति में आने वाले अपने परिवार से पहले शख्स हैं।

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