13 जनवरी 2025 से प्रयागराज में महाकुंभ (Maha Kumbh 2025) की शुरुआत हो चुकी है। वैसे तो हर बार कुंभ का आयोजन खास होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं की इस साल यानी साल 2025 का ये कुंभ खास होने के साथ-साथ काफी अद्भुत भी है। इस महाकुंभ में गंगा में स्नान और दान करने से आपको कई गुना ज्यादा लाभ मिल सकता है। ग्रह नक्षत्र में इस महाकुंभ को ऐतिहासिक बना रहा है। चलिए इस आर्टिकल में महाकुंभ से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातों के बारे में जानते है।
हर 12 साल में होता है कुंभ मेले का आयोजन
कुंभ मेले का आयोजन हर 12 साल में होता है। यूं तो कुंभ इन चार जगहों हरिद्वार, उज्जैन, नासिक और प्रयागराज में लगता है। लेकिन आज हम आपको महाकुंभ के बारे में बताने जा रहे हैं।
महाकुंभ एक दुर्लभ आयोजन है। ये 12 पूर्ण कुंभ के बाद यानी 144 साल बाद आता है। जिसके चलते इसको महाकुंभ कहा जाता है। महाकुंभ मेला केवल प्रयागराज में लगता है। यहीं पर गंगा, यमुना और सरस्वती (पौराणिक) नदियों का पवित्र संगम देखने को मिलता है।
कैसे हुई कुंभ की शुरुआत?
बात करें कुंभ मेले की शुरुआत की तो कहा जाता है की जब देवताओं और असुरों के बीच समुद्र मंथन से निकले अमृत के लिए 12 दिन तक भयंकर युद्ध हुआ तो उस दौरान कलश से अमृत की कुछ बूंदें गिरी जहां जहां ये अमृत की बूंदें गिरी वहां-वहां कुंभ मेला लगना शुरु हो गया। इसके अलावा कुंभ को कलश भी कहते हैं।
कितने प्रकार के होते है कुंभ?
ज्योतिष शास्त्र की मानें तो कुंभ मेले के चार तरह के होते हैं: सामान्य कुंभ, अर्ध कुंभ, पूर्ण कुंभ और महाकुंभ। प्रत्येक कुंभ ज्योतिषीय गणना के आधार पर आयोजित होता है। ज्योतिषी ग्रहों के गोचर को देखते हैं और फिर कुंभ मेले की तारीख और साल तय करते हैं।
कुंभ के मौजूदा आयोजन के स्वरुप को लेकर चर्चाएं हो सकती हैं। कुछ विद्वान ये मानते हैं की गुप्त काल के दौरान कुंभ मेले की शुरुआत हुई थी। इसी के साथ आदी गुरु शंकराचार्य और उनके शिष्यों ने संन्यासी अखाड़ों के लिए संगम तट पर शाही स्नान की व्यवस्था की थी। सनातन धर्म में महाकुंभ का बेहद महत्व है। महाकुंभ प्रयागराज में आयोजित होता है। कहते हैं की यहां गंगा, यमुना और अद्श्य सरस्वती का संगम होता है जिसे त्रिवेणी कहा जाता है।
144 साल बाद आयोजित हो रहा महाकुंभ (Maha Kumbh 2025)
अब बात करते हैं इस साल के खास महाकुंभ की तो बता दें की हर 12 साल में एक कुंभ मेला होता है और 2025 का ये कुंभ एक तरह से पूर्ण महाकुंभ है। क्योंकि 12 साल लगातार 12 सालों तक लगने के बाद पूर्ण महाकुंभ लगता है। यानी कि ये महाकुंभ 144 सालों बाद आयोजित हो रहा है। कहा जा रहा है की किसी भी इंसान को अपनी जिंदगी में सिर्फ एक ही बार महाकुंभ में नहाने का पुण्य मिल सकता है।
क्यों खास है ये महाकुंभ?
इस बार वाला महाकुंभ इसलिए भी खास है क्योंकि इस दिन सूर्य, चंद्रमा, शनि और बृहस्पति ग्रहों की शुभ स्थिति बन रही है। ठीक वैसी ही जैसी समुद्र मंथन के वक्त बनी थी। कहते हैं इस योग के प्रभाव से महाकुंभ में स्नान और पूजा करने से असाधारण पुण्य की प्राप्ति होती है। महाकुंभ का सबसे खास आकर्षण शाही स्नान होता है। इस समय लाखों श्रद्धालु त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाते हैं और अपने पापों से मुक्ति प्राप्त करने के लिए प्रार्थना करते हैं