Minister Instructions for Enquiry: स्कूल शिक्षा मंत्री ने शहडोल के 2 स्कूलों के मरम्मत कांड की जाँच के निर्देश सचिव और आयुक्त को दिए! प्राचार्य निलंबित?

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कलेक्टर ने जिला शिक्षा अधिकारी और प्राचार्य को थमाए नोटिस

Minister Instructions for Enquiry: स्कूल शिक्षा मंत्री ने शहडोल के 2 स्कूलों के मरम्मत कांड की जाँच के निर्देश सचिव और आयुक्त को दिए! प्राचार्य निलंबित?

Bhopal : Minister Instructions for Enquiry: स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह ने शहडोल के 2 स्कूलों के मरम्मत कांड की जाँच के निर्देश विभागीय सचिव और आयुक्त को दिए है! इसी मामले में शहडोल के कलेक्टर केदार सिंह ने जिला शिक्षा अधिकारी और प्रभारी प्राचार्य को नोटिस थमाए है।

इस संबंध में कारण बताओ सूचना पत्र में कलेक्टर ने साफ कहा है कि शासकीय हाई स्कूल सकंदी में अधिकारी द्वारा की गई किए गए निरीक्षण में यह कार्य गुणवत्ताहीन और अधूरा पाया गया है। कार्य को पूर्ण किए बिना राशि का आहरण कर लिया जाना वित्तीय अनियमितता में आता है। कारण बताओ सूचना पत्र में यह भी लिखा गया है कि वित्तीय अनियमितता गुणवत्ताहीन गुणवत्ताहीन और अधूरे कार्य की जानकारी प्राचार्य ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों को नहीं दी जिसे कर्तव्य में लापरवाही माना गया है और शासकीय नियमों के अनुसार अनुशासनहीनता की श्रेणी में आता है। यह लिखा है कि तीन दिन में दोनों अधिकारी स्वयं उपस्थित होकर अपना जवाब प्रस्तुत करें। जवाब संतोषजनक न होने अन्यथा नियत समय अवधि में जवाब प्रस्तुत न किए जाने की स्थिति में उनके विरुद्ध एक पक्षीय कार्यवाही की जाएगी।

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प्रदेश में शिक्षा के नाम पर आवंटित धनराशि की बंदरबांट किस तरह हो रही है, शहडोल जिले के दो स्कूलों में ऑयल पेंट और मरम्मत के नाम पर लाखों रुपए के संदिग्ध और हास्यास्पद बिल यही बयां करते हैं।

एक प्रशासनिक जानकार के अनुसार यह संगठित घोटाला प्रदेश में सरकारी धन के दुरुपयोग और शिक्षा विभाग में फैले भ्रष्टाचार का गंभीर उदाहरण पेश करता है। यहीं कारण हैं कि प्रदेश के शिक्षा मंत्री ने भी इस मामले पर जरूरी एक्शन लिया हैं और प्रभारी प्राचार्य को तत्काल निलंबित कर दिया है।

जानकारी अनुसार परिवहन एवं स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह ने कहा हैं कि शहडोल जिले के सरकारी स्कूलो में मरम्मत के दौरान अनियमितता का मामला उनके संज्ञान में आया है। मामले की गंभीरता को देखते हुए उन्होंने स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव और आयुक्त लोक शिक्षण को प्रकरण की तत्काल जाँच करने के निर्देश दिए हैं। जाँच के बाद दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जायेगी।

स्कूल शिक्षा मंत्री ने कहा कि सुशासन वाली सरकार में किसी भी तरह की अनियमितता या गड़बड़ी को बर्दाश्त नहीं किया जायेगा और दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। स्कूल शिक्षा मंत्री के ट्वीट के अनुसार सकंदी हाई स्कूल के निर्माण कार्यों में आई शिकायत उपरांत प्राथमिक जांच में दोषी पाए जाने पर शाला के प्रभारी प्राचार्य को तत्काल निलंबित कर दिया गया है।

शहडोल जिले में शिक्षा विभाग से जुड़े चौंकाने वाले घोटाले सामने आए है, जिसमें स्कूलों की रंगाई-पुताई और मरम्मत के नाम पर लाखों रुपये खर्च कर दिए गए। सोशल मीडिया पर वायरल हुए दो बिल ने इस फर्जीवाड़े का खुलासा किया। पहला मामला ब्यौहारी विकासखंड के शासकीय हाईस्कूल सकंदी और उच्चतर माध्यमिक विद्यालय निपानिया का है। वायरल बिल में के अनुसार सिर्फ चार लीटर ऑयल पेंट की पुताई के लिए 168 मजदूरों और 65 मिस्त्रियों को लगाया गया, जिनकी मजदूरी में कुल 1,06,984 रुपये खर्च किए गए। पेंट की कीमत सिर्फ 784 रुपये थी। इस संबंध में बताया गया है कि एक देयक है जिसमें लोहा सरिया आदि का उल्लेख है। ऐसे में यह प्रश्न भी उठना स्वाभाविक है कि एक ही काम के दो अलग-अलग बिल क्यों बनाए गए?

इसी तरह निपानिया स्कूल में 20 लीटर पेंट से रंगाई के लिए 275 मजदूरों और 150 मिस्त्रियों को काम पर लगाया गया, जिनकी मजदूरी 2,31,650 रुपये बताई गई है। इन बिलों के ऊपर स्कूल प्रिंसिपल और जिला शिक्षा अधिकारी के सरकारी सील भी लगी हुई है। यह दोनों भुगतान 5 मई 2025 के बिलों के आधार पर किए गए थे, जिन पर संबंधित प्राचार्यों और जिला शिक्षा अधिकारी के हस्ताक्षर व सरकारी मुहरें भी लगी हुई हैं। खास बात यह है कि दोनों स्कूलों में यह काम एक ही ठेकेदार सुधाकर कंस्ट्रक्शन के जरिए कराया गया। इन दोनों विद्यालयों में लगाए गए बिल क्रमांक 240 और 241 है।

जानकारों के अनुसार इस मामले में ट्रेज़री अधिकारियों की भूमिका काफी संदिग्ध हैं जिन्होंने इसका भुगतान सरलता से निपटा दिया। अनुरक्षण मद से कराए गए कार्यों का कार्य के पूर्व फोटोग्राफ्स एवं कार्य होने के बाद फोटोग्राफ्स देयक के साथ प्रस्तुत करना अनिवार्य होता है। जबकि, कार्य कराने के पूर्व और कार्य समाप्त के बाद देयक के साथ फोटोग्राफ्स संलग्न नहीं किए गए है।

इस मामले में प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी पीएस मरपाची का बेतुका बयान सामने आया है। उनका कहना है कि विद्यालय भवन में पुताई के अलावा अन्य कार्य भी कराए गए हैं। जिसके लिए 3 लाख रुपये की राशि स्वीकृत हुई है। सिर्फ एक बिल ही सोशल मिडिया में वायरल किया गया है जो कि मिस्त्री व मजदूरों के भुगतान का है। अन्य जो कार्य कराया गया है उसका एक और बिल है। मामले की जांच कराई जा सकती है।

इस अन्य मामले में भी जिला शिक्षा अधिकारी के ऊपर संदिग्धता की सुई लटकी थी। लंबे अरसे से प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी फूल सिंह मारपाची जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय शहडोल में प्रभार में है।

जिनका मूल पद शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बालक बुड़वा प्राचार्य का है।

हैरानी की बात यह है कि मूल पद जहां का है जहां से साहब का वेतन निकलता है। वहां पर उन्हें स्थाई करने की बजाए जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय का अतिरिक्त प्रभार दिया है, जिले के कई शिक्षक जानना चाहते हैं आख़िर क्यों?

वैसे अब कलेक्टर डॉ केदार सिंह द्वारा शहडोल जिले के सभी सरकारी स्कूलों में भुगतान हुए बिलों की भौतिक जॉच कराने से काफी आश्चर्य जनक रिपोर्ट सामने आने की संभावना जिले के नागरिक व्यक्त कर रहे हैं।

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