15 सूत्रीय मांगों को लेकर सड़कों पर उतरे दिव्यांग, पुलिस ने रोका

viklang pardarshan

3 दिसंबर को विश्व विकलांग दिवस पर जहां दुनिया भर में दिव्यांगों के अधिकार और सम्मान की बात होती है, वहीं उत्तराखंड में दिव्यांगों का आंदोलन तूल पकड़ने लगा है। 15 सूत्रीय मांगों को लेकर लंबे समय से संघर्ष कर रहे दिव्यांगों ने आज परेड ग्राउंड में प्रदर्शन करने का प्रयास किया, लेकिन पुलिस ने उन्हें रोकते हुए विभिन्न थानों और चौकियों में बैठा दिया है।

8 सितंबर को किया रहा दिव्यांगों ने सीएम आवास का घेराव

बता दें कि बीते 8 सितंबर को देवभूमि बधिर एसोसिएशन के बैनर तले बड़ी संख्या में विकलांग व्यक्तियों ने सीएम आवास का घेराव किया था। उस समय आंदोलनकारी अपेक्षा कर रहे थे कि सरकार उनकी मांगों को सुनेगी और समाधान का रास्ता निकलेगा। परंतु आज तक किसी भी स्तर पर आश्वासन नहीं मिलने से दिव्यांगों में गहरा असंतोष पैदा हुआ है। सोमवार को परेड ग्राउंड में प्रदर्शन की तैयारी करते ही पुलिस सक्रिय हो गई।

बसों में बैठाकर शहर के विभिन्न थानों और चौकियों में किया स्थानांतरित

गौरतलब है कि उत्तराखंड में ESMA लागू होने के कारण पुलिस ने आंदोलनकारियों को रोका है। जिसके बाद उन्हें बसों में बैठाकर शहर के विभिन्न थानों और चौकियों में स्थानांतरित कर दिया। आंदोलनकारियों का आरोप है कि आज उन्हें काफी तकलीफों का सामना करना पड़ा और यह कदम दिव्यांगों के साथ संवेदनहीन व्यवहार का उदाहरण है। आंदोलनरत दिव्यांगों ने कहा कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, वे संघर्ष जारी रखेंगे।

उत्तराखंड में दिव्यांगों की सरकार से क्या मांगें है?

  • Deaf National Championship में पदक विजेता खिलाड़ियों को अन्य खेल खिलाड़ियों की तरह आउट ऑफ टर्न नौकरी दी जाए और समान खेल सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं।
  • दिव्यांग खिलाड़ियों को प्रतियोगिताओं व प्रशिक्षण के लिए वित्तीय व प्रशासनिक सहायता जल्द से जल्द दी जाए।
  • 2 माह से अधिक समय रही नियमित भर्ती प्रक्रिया को समाप्त कर भर्ती सेवा में अस्थायी प्रक्रिया को बंद किया जाए।
  • उत्तराखंड की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए दिव्यांग पेंशन 5 हजार रुपए प्रति माह की जाए।
  • दिव्यांग विवाह के लिए मिलने वाली अनुदान राशि का भुगतान समय सीमा में किया जाए और जिम्मेदार विभाग को समय सीमा में कार्य पूरा करने के निर्देश दिए जाएं।
  • अन्य राज्यों की तर्ज पर दिव्यांगों के लिए भवन निर्माण का नियम बनाया जाए।
  • विकलांग इंटरव्यू (Sufiya) की नियुक्ति की जाए।
  • 2016 में उत्तराखंड शासन द्वारा दिव्यांगों के लिए लागू सरकारी नीति में संशोधन किया जाए और पत्र में दर्शाए गए बिंदुओं को शामिल किया जाए।
  • दिव्यांगजन के आरक्षण में 4% आधार पर आरक्षण सुनिश्चित किया जाए, जिसमें 3 सीट दिव्यांगता की आधारशिला पर और 1 सीट पहचान चुनाव/नियुक्ति प्रक्रिया हेतु आरक्षित हो।
  • नगरपालिका और नगर निगम में दिव्यांगजन का गठन किया जाए, जिसमें कम से कम 90 सदस्य दिव्यांग समुदाय से हों।
  • उत्तराखंड ग्राम पंचायतों में दिव्यांग जन का पर्वणी सेवा में आधार पर स्थान सुनिश्चित किया जाए।
  • स्कूलों में पढ़ रहे दिव्यांग बच्चों को सहायक नियुक्त किया जाए और असिस्टेंट की नियुक्ति जल्द से जल्द की जाए।
  • शारीरिक, मानसिक और चुनौतीपूर्ण दिव्यांगजन के लिए असिस्टेंट की व्यवस्था की जाए।
  • दिव्यांग जन के लिए रोजगार के लिए फूड खोखा देने का शासनादेश 2 नवंबर 2016 को जारी हुआ था, लेकिन अब तक फूड खोखा प्रदान नहीं किया गया, इसलिए तत्काल उपलब्ध कराया जाए
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