प्रदेश में विकास के दावे तो सरकारें करती रहती हैं लेकिन पहाड़ों से अक्सर कुछ तस्वीरें ऐसी सामने आती हैं जो इन दावों की पोल खोल के रख देती हैं। ऐसी ही एक खबर सीमांत जिले पिथौरागढ़ से सामने आई है। जहां एक बीमार महिला ने सड़क ना होने के कारण समय पर अस्पताल ना पहुंच पाने के कारण दम तोड़ दिया। इस से भी दुखद बात तो ये है कि इस खबर को बाहर आने में भी छह दिन लग गए।
सड़क ना होने के कारण चली गई जान
पिथौरागढ़ के बंगापानी गांव से दुखद खबर सामने आई है। यहां गांव तक सड़क ना होने के कारण एक और बीमार को अपनी जान गंवानी पड़ी। उस से बड़ी दुखद खबर ये है कि इस घटना की जानकारी बाहर आने में छह दिन बीत गए। आज आप ये खबर घटना के छह दिन बीत जाने के बाद पढ़ रहे हैं।
मिली जानकारी के मुताबिक 10 जनवरी की शाम को दारमा गांव की लछिमा देवी (58) दिल का दौरा पड़ने से घर में बेहोश हो गईं। रात का समय होने के ग्रामीण उन्हें अस्पताल नहीं ले गए क्योंकि गांव से सड़क काफी दूर थी। ग्रामीणों ने सुबह होने का इंतजार किया।
हायर सेंटर ले जाते हुए तोड़ा दम
11 जनवरी को सुबह होते ही परिजन महिला को डोली के सहारे आठ किमी बदहाल पैदल रास्ते से ले जाकर सड़क तक लाए। जिसके बाद उन्हें 100 किमी दूर जिला अस्पताल पहुंचाया गया। यहां से लक्षिमा देवी को हायर सेंटर बरेली रेफर कर दिया गया। बरेली को ले जाते हुए उन्होंने चल्थी (टनकपुर) में ही दम तोड़ दिया।
सड़क होती तो समय पर ले जाते अस्पताल
स्थानीय लोगों का कहना है कि लक्षिमा देवी की मौत सड़क ना होने के कारण हुई है। अगर गांव तक सड़क होती तो उन्हें रात में ही अस्पताल ले जाया जाता जिस से उनकी जान बच सकती थी। आजादी के इतने साल बीत जाने के बाद भी गांव तक सड़क नहीं पहुंच पाई है।
आज भी ग्रामीण गर्भवती महिलाओं और बीमार लोगों को डोली के सहारे अस्पताल ले जाने के लिए मजबूर हैं। कई बीमार और बुजुर्ग अस्पताल पहुंचने से पहले इलाज के अभाव में ही दम तोड़ देते हैं। लेकिन आज तक सरकार ने इस पर ध्यान नहीं दिया। सालों से इसके लिए मांग की जा रही है। कई बार मांग करने के बाद भी गांव तक सड़क नहीं पहुंच पाई है।
वीर चक्र विजेता और स्वतंत्रता सेनानियों का है गांव
आपको ये जानकर हैरानी होगी कि ये कोई आम गांव नहीं है। ये गांव वीर चक्र विजेता और स्वतंत्रता सेनानियों का गांव हैं। इस गांव के नौ लोगों ने स्वतंत्रता संग्राम में अहम योगदान दिया है। इसके साथ ही इसी गांव का एक जवान वीर चक्र विजेता भी है। लेकिन इसके बाद भी गांव तक सिर्फ आठ किमी सड़क ना पहुंच पाना दुर्भाग्य की बात है। महज आठ किमी की रोड ना बन पाने के कारण ना जाने कितने लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है।