चीख-चीख कर स्कूल में बेहोश हुई छात्राएं, प्रबंधन के फूले हाथ-पांव

टिहरी : स्कूल में अचानक चीखने चिल्लाने लगी छात्राएं, स्कूल प्रबंधन के फूले हाथ-पांव

टिहरी के नौल बासर गांव में स्थित राजकीय इंटरमीडियट कालेज में पढ़ रही छात्राएं अचानक चीखने-चिल्लाने लगी और उसके बाद बेहोश हो गई. जिसे देख स्कूल प्रबंधन के हाथ-पांव फूल गए. आनन-फानन में स्कूल प्रबंधन ने चिकित्सकों से संपर्क किया. जिसके बाद चिकित्सकों की टीम स्कूल पहुंची.

स्कूल में अचानक चीखने चिल्लाने लगी छात्राएं

टिहरी के नौल बासर में एक दर्जन छात्राओं की तबियत अचानक बिगड़ गई. सुबह प्रार्थना के बाद छात्राएं चीखने चिल्लाने लगी. जिस कारण विद्यालय में अफरा तफरी मच गई और अन्य छात्राएं भी डर गई. सूचना पर स्कूल पहंची स्वास्थ्य विभाग की टीम ने छात्राओं का स्वास्थ्य परीक्षण किया और जरूरी दवाईयां दी. एमओ डॉ हुकम सिंह गुनसोला ने बताया कि प्रथम दृष्टया ये मास हिस्टीरिया का मामला लग रहा है.

मास हिस्टीरिया क्या होता है ?

मास हिस्टीरिया एक तरह का मेंटल डिसऑर्डर या साइकोलॉजिकल प्रॉब्लम है. साइकेट्रिस्ट के मुताबिक जब कोई व्यक्ति मेंटली या इमोशनली परेशान होता है, तो अपनी तरफ ध्यान आकर्षित करना चाहता है और असामान्य हरकतें करता है. इसमें एक व्यक्ति को ऐसा करते देख दूसरा, तीसरा और कई लोग असामान्य हरकतें कर सकते हैं.

किन लोगों में ज्यादा होती है मास हिस्टीरिया की समस्या

ये समस्या ज्यादातर उन महिलाओं में देखी जाती हैं, जो कम पढ़ी-लिखी हैं या फिर जो अपनी इच्छा और मन की बात को किसी को नहीं बता पाती और अंदर ही दबा देती हैं. लेकिन जरूरी नहीं है कि ये महिलाओं को ही हो. वक्त के साथ-साथ कई पुरुषों में भी हिस्टीरिया की समस्या देखी गई है. इसमें व्यक्ति अंदर ही अंदर घुट रहा होता है और अपना दर्द किसी को नहीं बता पाता है. वह चाहता है कि लोग उससे बात करें और उसकी समस्याएं पूछें.

ये हैं मास हिस्टीरिया के लक्षण

  • पेट या सिर दर्द
  • बालों को नोंचना
  • हाथ पांव पटकना
  • इधर-उधर भागना
  • रोना और चिल्लाना
  • गुस्सा करना
  • उदास रहना
  • थोड़ी देर के लिए बेहोश होकर अकड़ जाना
  • भूख और नींद में कमी आना

मास हिस्टीरिया के मरीज का ऐसे करें इलाज

  • सबसे पहले उसे साइकोलॉजिस्ट के पास ले जाना चाहिए।
  • साइकोलॉजिस्ट उसकी दबी हुई इच्छाएं पूछकर बाहर लाने की कोशिश करते हैं।
  • पेशेंट की फैमिली को जागरूक और एजुकेट करते हैं।
  • पेशेंट की काउंसलिंग चलती है और उसे मेडिटेशन करवाया जाता है।
  • हिप्नोथेरेपी से पेशेंट को काफी मदद मिलती है।
  • हिप्नोथेरेपी में पेशेंट की दबी इच्छाओं को बाहर निकाला जाता है और उसकी मेंटल कंडीशन दूसरी बनाई जाती है।

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