उत्तराखंड की ममता कार्की का बीडीओ पद पर चयन
बागेश्वर। पढ़ाई की कोई उम्र नहीं होती इस बात को साबित कर दिखाया है बागेश्वर जिले के कपकोट की ममता कार्की ने । ममता ने 42 साल की उम्र में उत्तराखंड लोक सेवा आयोग (UKPSC) की परीक्षा पास कर ली है। दस साल तक घर-परिवार की जिम्मेदारी निभाने के बाद, जब उनके बच्चे बड़े हो गए, तो ममता ने एक बार फिर अपने राज्य की सेवा करने का संकल्प लिया और UKPSC की परीक्षा में सफलता हासिल की। यह उनका आखिरी मौका भी था, जिस पर उन्होंने लगन और मेहनत की बदौलत सफलता हासिल की।
मूल रूप से बागेश्वर जिले की निवासी ममता कार्की का चयन PCS 2021 के अंतर्गत बीडीओ पद पर हुआ है। उनकी प्रारंभिक शिक्षा हल्द्वानी के भारतीय बाल विद्या मंदिर में हुई और उन्होंने जीजीआईसी हल्द्वानी से इंटरमीडिएट की पढ़ाई की। बाद में पंतनगर यूनिवर्सिटी से बी.टेक और दिल्ली के TERI यूनिवर्सिटी से रिन्यूएबल एनर्जी में एम.टेक किया। ममता पहले भी 2005 में लोक सेवा आयोग से प्रोफेसर बनी थीं और कई वर्षों तक इंजीनियरिंग कॉलेजों में पढ़ाया। 2013 में उन्होंने अपने बच्चों की परवरिश और परिवार की जिम्मेदारी निभाने के लिए नौकरी छोड़ दी, लेकिन उन्होंने पढ़ाई जारी रखी और कुछ नया करने का हौसला हमेशा बनाए रखा।
सरकारी नौकरी छोड़ने का कारण बताते हुए ममता ने कहा कि अक्सर महिलाओं के करियर में एक समय ऐसा आता है जब घर-परिवार और करियर के बीच संतुलन बिठाना कठिन हो जाता है। जब उनके बच्चों को उनकी सबसे ज्यादा जरूरत थी, तो उन्होंने बिना देर किए नौकरी छोड़ने का निर्णय लिया। उन्होंने बच्चों की परवरिश के साथ ही प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी जारी रखी और यह महसूस किया कि करियर को थोड़े समय के लिए रोका जा सकता है, लेकिन उसे बाद में फिर से शुरू किया जा सकता है।
महिलाओं को प्रेरणा देते हुए ममता ने कहा कि कई पढ़ी-लिखी महिलाएं शादी के बाद घर में रहकर बच्चों की देखभाल करने में उलझ जाती हैं। उन्होंने महिलाओं और युवतियों को सुझाव दिया कि वे पढ़ाई-लिखाई जारी रखें और शादी से पहले अपने लक्ष्यों को पाने का प्रयास करें। ममता ने लड़कियों को आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित किया और कहा कि शादी के बाद भी अपने पैरों पर खड़ा होना जरूरी है।
असफलता से निराश न होने की सलाह देते हुए ममता ने कहा कि जीवन में असफलताएं आती रहती हैं, लेकिन हमें ईमानदारी से आत्म-विश्लेषण करना चाहिए और अपनी कमजोरियों पर काम करना चाहिए। छोटे-छोटे लक्ष्य बनाकर लगातार मेहनत करने से एक दिन सफलता जरूर मिलती है।
ममता के पति जितेंद्र कार्की बीएचईएल (BHEL) हैदराबाद में पोस्टेड हैं, और वर्तमान में ममता अपने परिवार के साथ हैदराबाद में ही रह रही हैं। ममता ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता, सास-ससुर और पति को दिया है। उनकी यह प्रेरणादायक कहानी उन सभी महिलाओं के लिए उदाहरण है, जो जीवन में कुछ बड़ा करने का सपना देखती हैं।