लैटरल इंट्री मामले में बैकफुट पर आई केंद्र सरकार, रोक लगाने के लिए मंत्री ने लिखी चिट्टी

केंद्र सरकार ने लैटरल एंट्री के जरिए 45 पदों पर भर्ती का यूपीएससी के विज्ञापन को रोक दिया है। इस संबंध में सरकार ने यूपीएससी को पत्र लिखा है। बता दें कि केंद्र सरकार ने संयुक्त सचिव और संयुक्त सह सचिव के पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन निकाला था। इस मुद्दे पर पहले विपक्ष ने मोर्चा खोला और बाद में एनडीए सहयोगियों ने भी फैसले की आलोचना कर दी। इसके बाद मंगलवार की दोपहर केंद्र सरकार की ओर से लेटरल एंट्री के जरिए भर्ती प्रक्रिया रोकने की जानकारी दी गई।


दरअसल लेटरल एंट्री को सीधी भर्ती भी कहा जाता है। इसमें उन लोगों को सरकारी सेवा में लिया जाता है, जो अपनी फील्ड में काफी माहिर होते हैं। ये IAS-PCS या कोई सरकारी कैडर से नहीं होते हैं। इन लोगों के अनुभव के आधार पर सरकार अपने नौकरशाही में इन्हें तैनात करती है। इसके लिए कोई प्रतियोगी परीक्षा भी आयोजित नहीं की जाती है। इसमें कोई आरक्षण भी नहीं होता है।

लैटरल इंट्री के जरिए 45 पदों पर मांगे आवेदन
हाल ही में यूपीएससी ने अखबारों में एक विज्ञापन जारी किया था। इसमें केंद्र सरकार के भीतर विभिन्न वरिष्ठ पदों पर लैटरल एंट्री के जरिए नियुक्ति की जानकारी देते हुए आवेदन मांगे गए थे। इन पदों में 24 मंत्रालयों में संयुक्त सचिव, निदेशक और उप सचिव के पद शामिल थे। इनमें कुल 45 पदों के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए थे।

राहुल गांधी समेत सहयोगियों ने खोला मोर्चा
इस विज्ञापन के निकलने के बाद से ही ये विवादों के घेरे में आ गया। विपक्ष ने इसे आरक्षण विरोधी बताते हुए मोर्चा खोल दिया। इसके साथ ही विपक्ष ने लैटरल इंट्री के जरिए आरएसएस के लोगों को केंद्र में भरने के आरोप लगाए। राहुल गांधी ने इस मसले पर जमकर विरोध किया। वहीं न सिर्फ विपक्ष बल्कि केंद्र सरकार में सहयोगी दलों की भूमिका में मौजूद कुछ पार्टियों के नेताओं ने भी इस लैटरल इंट्री वाले विज्ञापन पर आपत्ति दर्ज करा दी। इसके बाद सरकार दबाव में आ गई थी।

इस मसले पर खुद पीएम को आगे आकर अपनी ही सरकार के फैसले को पलटने का साहस दिखाना पड़ा है। इसके बाद अब सरकार ने इस विज्ञापन को रोकने का फैसला लिया है।

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