सीमांत जिले पिथौरागढ़ से शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के लिए लगातार पलायन हो रहा है। ये पलायन थमने का नाम नहीं ले रहा है। अपने बच्चों की अच्छी शिक्षा और भविष्य के लिए लोग पिथौरागढ़ से शहरों या अन्य राज्यों का रूख कर रहे हैं। पिथौरागढ़ में हो रहे पलायन का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि बीते तीन सालों में 83 सरकारी स्कूल बंद हो गए।
तीन सालों के भीतर पिथौरागढ़ में 158 प्राथमिक और 25 उच्च प्राथमिक विद्यालय बंद हो गए। इन स्कूलों के बंद होने के पीछे की वजह छात्र संख्या का शून्य होना है। इसके अलावा जिले में 120 स्कूल ऐसे भी हैं जहां केवल एक ही शिक्षक तैनात है। एक शिक्षक को अकेले ही एक से लेकर आठ तक की कक्षाओं के बच्चों को पढ़ाना पढ़ता है।
पिथौरागढ़ जिले में 41 फीसदी से ज्यादा पलायन
पलायन आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक सीमांत जिले पिथौरागढ़ से अब तक 41 फीसदी से ज्यादा पलायन हो चुका है। हाल ही में आई जल जीवन मिशन की रिपोर्ट से ये खुलासा हुआ कि जिले के 58 गांव गैर आबाद हो गए हैं। बता दें कि साल 2019 में जिले के 1600 गांव आबाद थे। लेकिन अब जिले में केवल 1542 गांव की आबाद हैं। सबसे हैरानी की बात तो ये है कि सिर्फ दो तहसीलों से ये पलायन हुआ है। बेरीनाग विकासखंड के 41 गांव और गंगोलीहाट विकासखंड के 17 गांव आबादी विहीन हो गए हैं। जो कि गंभीर चिंता का विषय है।
शिक्षा व सुविधाओं के लिए अभिभावक कर रहे पलायन
पलायन के पीछे का मुख्य कारण सुविधाओं का ना होना है। लोग शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, सड़क, पानी और बिजली की सुविधाएं ना मिलने के कारण पलायन कर रहे हैं। जिले की सुविधाओं के हाल किसी से छिपे नहीं हैं। आए दिन स्वास्थ्य सुविधाओं और सड़क के अभाव में गर्भवती महिलाओं और बुजुर्गों की मौत की खबर सामने आती है। लोग अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए और अच्छा भविष्य देने के लिए गांव के अपने घरों को छोड़कर नगरों की ओर जा रहे हैं।
445 प्राथमिक विद्यालयों में सिर्फ एक छात्र
आपको बता दें कि पिथौरागढ़ जिले में 445 प्राथमिक विद्यालयों में एक छात्र संख्या है। एकल छात्र संख्या वाले 445 प्राथमिक और 20 जूनियर हाईस्कूल हैं। इसके साथ ही जिले के 28 प्राथमिक स्कूल और दो जूनियर हाईस्कूल ऐसे हैं जो कि शिक्षक विहीन हैं। शिक्षकों के ना होने से छात्र-छात्राओं को परेशानियों का सामना करना पड़ता है।