भारतीय वायु सेना ने उत्तराखंड सरकार से अपने 200 करोड़ के बकाये की मांग की है। इसके साथ ही अब प्रादेशिक सेना ने भी सरकार से 146 करोड़ के बकाये का भुगतान करने की मांग की हैष बता दें कि प्रादेशिक सेना की बकायेदारी बीते 10 सालों की है। जिसका अब तक भुगतान नहीं हो पाया है।
वायु सेना और प्रादेशिक सेना ने सरकार से मांगा बकाया
उत्तराखंड सरकार से वायुसेना ने 213 करोड़ का बकाया मांगा है। जिसे चुकाना प्रदेश सरकार के लिए गले की फांस बन गया है। जबकि प्रादेशिक सेना ने भी अपना 146 करोड़ रुपए का बकाया उत्तराखंड सरकार से मांग लिया है। ऐसे में सरकार के लिए बकाया चुकाना मुसीबत सी बन गई है। जहां एक ओर लगातार वायु सेना सरकार को पत्र लिख रही है। तो वहीं अब प्रादेशिक सेना के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल राजू बैजल ने भी बकाये को लेकर मुख्य सचिव को पत्र लिखा है।
वायुसेना का 200 करोड़ का है बकाया
वायुसेना अपने बकाये को लेकर लगातार राज्य सरकार को पत्र लिख रही है जिसमें 200 करोड़ रुपए से अधिक की बकाये की बात की गई है। इन पत्रों में राज्य बनने से लेकर अबतक तमाम गतिविधियों में शामिल वायुसेना के बिल का ब्यौरा भी दिया गया है। बता दें कि उत्तराखंड में अक्सर आपदा की स्थिति बनी रहती है।
आपदा में कई बार राहत और बचाव के कामों के लिए वायुसेना के हेलीकॉप्टरों की मदद ली जाती है। इसके अलावा कई अन्य गतिविधियों में भी वायुसेना का इस्तेमाल होता रहा है। जैसे- गर्मी के दौरान जंगलों में लगी आग बुझाने में वायुसेना के हेलीकॉप्टरों की मदद ली गई थी। मानसून में बाढ़ लैंड़सलाइड़ आदि में भी वायुसेना की मद्दत प्रदेश सरकार लेती है। लेकिन मद्दत करने में जो खर्च आता है उसका सरकार पर बकाया रह जाता है।
प्रादेशिक सेना का भी 146 करोड़ का करना है भुगतान
वहीं बात करें प्रादेशिक सेना की तो प्रदेश के कुमाऊं और गढ़वाल मंडल में इकोलॉजी टास्क फोर्स चार कंपनियां तैनात हैं। हर साल इन चार कंपनियों पर 21 करोड़ का खर्चा आता है। अब तक के बकाये की बात करें तो जून 2024 तक सरकार पर 146.16 करोड़ का बकाया है। प्रादेशिक सेना के महानिदेशक द्वारा लिखे गए पत्र में उत्तराखंड सरकार से चरणबद्ध पुनर्भुगतान की योजना बनाने का अनुरोध किया गया है।