एक ओर जहां समाज के युवा नशे में लिप्त हो कर जीवन बर्बाद कर रहे हैं तो वहीं एक 15 साल का एक युवा नशे के खिलाफ पूरे प्रदेश में दौड़ कर लोगों को जागरूक कर रहा है। कृष्णा मूल रूप से पिथौरागढ़ के देवलथल का रहने वाला है। पिता का साया बचपन से नहीं था और मां की मानसिक स्थिति खराब थी। जिस कारण कृष्णा की जिंदगी अभाव में गुजरी।
महज 15 साल की उम्र में समाज बदलने का जज्बा
घनश्याम ओली चाइल्ड वेलफेयर सोसायटी ने कृष्णा को गोद लिया और पिछले 9 सालों से कृष्णा वहीं रहता है। संस्था ही उसका लालन-पालन, खाना-पीना और शिक्षा का काम करती है। कृष्णा भी पूरी लगन से पढ़ाई करता है और साथ ही सामाजिक जागरूकता अभियानों में भी हिस्सा लेता है। परेशानियों का सामना कर उन्हें हरा देना और समाज के लिए हमेशा कुछ बेहतर योगदान देना ही कृष्णा का लक्ष्य है और इसी लिए महज 15 साल की उम्र में कृष्णा समाज को बदलने का जज्बा रखता है।
लोगों को नशे के खिलाफ जागरूक करने के लिए दौड़ रहा कृष्णा
नशे से होने वाले नुकसान और युवाओं को इसमें लिप्त होता देख कृष्णा इन दिनों एक जागरूकता दौड़ कर रहे हैं। अब तक कृष्णा नशे के खिलाफ जागरूकता के लिए 600 किलोमीटर दौड़ लगा चुके हैं। वो सबसे कम आयु में नशे के खिलाफ 600 किलोमीटर दौड़ने वाले पहले युवा हैं। हर दिन 30 से 40 किलोमीटर दौड़ कर लोगों को नशे के खिलाफ जागरूक कर रहे हैं। इसके साथ ही विद्यालयों में जाकर शपथ दिला रहे हैं और युवाओं को इस अभियान से जोड़ रहे हैं।
बच्चों को नशा मुक्ति की दिलाई शपथ
मंगलवार को कृष्णा बाराकोट ब्लाक के बापरू जीआईसी पहुंचे। जहां उन्होंने बच्चों को नशा मुक्ति की शपथ दिलाई और पूरे चंपावत से घाट तक 48 किलोमीटर दौड़ कर लोगों को जागरूकता संदेश दिया। लोहाघाट में जनजागरण अभियान में सभी लोगों ने उनका साथ देने की बात कही और उनका जोरदार स्वागत किया। बापरू विद्यालय में बच्चों ने उनके साथ दौड़ में हिस्सा लिया और बधाइयां दी साथ ही नशा मुक्त लोहाघाट बनाने के लिए जुड़ने की इच्छा भी जाहिर की।
बता दें कि इस से पहले देहरादून में मुख्यमंत्री धामी ने कृष्णा को सम्मानित किया और उनके अभियान में पूर्ण सहयोग देने का आश्वासन दिया। इसके साथ ही युवा कल्याण मंत्री रेखा आर्य ने भी कृष्णा के अभियान की तारीफ की है। आम जनता उनसे प्रभावित हो रही है और अभियान में उनके साथ होने का आश्वासन दे रही है।