ब्रेकिंग -हलद्वानी के 150 प्रमाण पत्रों में से 48 निकले फर्जी

डेमोग्राफी बदलने की बात की साजिश का पर्दाफाश

सभी 48 जाली प्रमाण पत्र होंगे निरस्त

उत्तरखंड में डेमोग्राफी बदलने की बातें सच साबित होती जा रही है पिछले 5 वर्षों में बनाए गए प्रमाण पत्र की जांच में हल्द्वानी में अभी तक 150 प्रमाण पत्र की जांच हुई तो इनमें 48 प्रमाण पत्र फर्जी पाएंगे जिससे यह समझ में आ रहा है कि यहां पर बाहर से आ रही लोगों के फर्जी तरीके से प्रमाण पत्र बनाकर उन्हें स्थाई निवास प्रमाण पत्र दिया जा रहा है तथा वह यहां की डेमोग्राफी को चेंज करने की कड़ी के रूप में सामने आ रहा है हालांकि अब एसडीएम ने इन 48 प्रमाण पत्र को निरस्त करने की बात कही है लेकिन यह तो सिर्फ हल्द्वानी की बात है । अगर उधम सिंह नगर और हरिद्वार जिलों में जांच बढ़ाई जाए और पार्वतीय क्षेत्र में पिछले 10 वर्षों में बनाए गए प्रमाण पत्रों की जांच की जाए तो यह संख्या हजारों में हो सकती है ऐसे लोग उत्तराखंड में स्थाई निवास प्रमाण पत्र बनाकर यहां के स्थाई निवास प्रमाण पर बनाकर यहां के मूल निवासियों के हक़ों पर कब्जा जमाते हुए दिखाई देंगे।

अगर हल्द्वानी तहसील में पिछले पाँच वर्षों में जारी किए गए स्थाई निवास प्रमाण पत्रों की जांच के दौरान बड़े पैमाने पर अनियमितताएं सामने आई हैं। प्रशासन द्वारा की गई पड़ताल में कुल 150 प्रमाण पत्रों की जांच की गई, जिसमें से 48 प्रमाण पत्रों के साथ लगाए गए दस्तावेज़ संदिग्ध पाए गए। जांच रिपोर्ट के आधार पर इन सभी 48 स्थाई निवास प्रमाण पत्रों को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया गया है।

एसडीएम राहुल शाह ने बताया कि जांच के दौरान कई मामलों में दस्तावेज़ों की सत्यता पर गंभीर सवाल उठे, जिसके चलते यह कार्रवाई की गई। उन्होंने कहा कि प्रशासन द्वारा रोज़ाना दस्तावेज़ों की गहन जांच की जा रही है और प्रयास किया जा रहा है कि आगामी 10 से 15 दिनों के भीतर सभी प्रमाण पत्रों की जांच पूरी कर ली जाए।

इसके अलावा प्रशासन की नजर कई अरायजनवीस (दस्तावेज़ लेखक) पर भी बनी हुई है। कुछ दस्तावेज़ लेखकों को नोटिस जारी किए जा चुके हैं और यदि जांच में उनका लाइसेंस अवैध या नियमों के विरुद्ध पाया गया तो उनके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई करते हुए लाइसेंस निरस्त किया जाएगा।

प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि फर्जी दस्तावेज़ों के आधार पर प्रमाण पत्र बनवाने वालों के खिलाफ भी विधिक कार्रवाई की जाएगी। यह अभियान आगे भी जारी रहेगा ताकि तहसील स्तर पर पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सके और फर्जीवाड़े पर पूरी तरह अंकुश लगाया जा सके।

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