
देहरादून। निजी स्कूलों की मनमानी पर जिला प्रशासन ने सख्त रुख अपनाया है। जिला देहरादून निवासी जिलाधिकारी सविन बंसल के निर्देश पर गठित कोर टीम ने 25 निजी स्कूलों के पिछले पांच वर्षों के फीस स्ट्रक्चर की गहन जांच की। मानकों को दरकिनार कर 35 प्रतिशत तक फीस बढ़ाने वाले स्कूलों को सख्त चेतावनी दी गई। नतीजतन, स्कूलों ने फीस संरचना संशोधित कर अधिकतम 10 प्रतिशत वृद्धि तक सीमित कर दी। डीएम ने स्पष्ट किया कि मानकों की अनदेखी और अभिभावकों का शोषण बर्दाश्त नहीं होगा, अन्यथा स्कूलों की मान्यता रद्द कर ताले लटका दिए जाएंगे।
जांच में माउंट लिट्रा, सेंट जोसेफ एकेडमी, जिम पायनियर, समर वैली, स्कॉलर्स होम, संत कबीर, समरफील्ड, क्राइस्ट और चौतन्य टेक्नो स्कूल सहित 25 स्कूलों की फीस वृद्धि की पड़ताल की गई। कुछ स्कूलों में 35 प्रतिशत तक अनुचित वृद्धि पाई गई, जबकि कुछ ने वित्तीय वर्ष 2025-26 में कोई वृद्धि नहीं की। डीएम की सख्त हिदायत के बाद स्कूलों ने आरटीई एक्ट के तहत फीस वृद्धि 10 प्रतिशत तक सीमित की। साथ ही, अभिभावकों को किताबें और ड्रेस कहीं से भी खरीदने की छूट देने वाली एडवाइजरी जारी की। उदाहरण के तौर पर, एन मेरी स्कूल ने 30 प्रतिशत फीस वृद्धि को घटाकर 10 प्रतिशत कर अंडरटेकिंग दी।
डीएम सविन बंसल ने कहा कि तीन साल में 10 प्रतिशत से अधिक फीस वृद्धि और निर्धारित दुकानों से किताबें-ड्रेस खरीदने का दबाव अस्वीकार्य है। शिकायत मिलने पर सख्त कार्रवाई होगी। हाल ही में चार बड़े पुस्तक भंडारों पर जीएसटी चोरी और अनावश्यक सामग्री खरीदने के दबाव के लिए दुकानें सील की गईं। मुख्यमंत्री के निर्देश पर प्रशासन ने स्कूलों की कुंडली खंगालकर अभिभावकों के शोषण पर नकेल कसी। कोर टीम की निगरानी में कई बड़े स्कूल रडार पर हैं। अभिभावकों को इस कार्रवाई से बड़ी राहत मिली है