Chardham yatra पंजीकरण केन्द्र का निरीक्षण करने पहुंचे महाराज, यात्रियों से लिया व्यवस्थाओं का फीडबैक

satpal Maharaj inspect Chardham Yatra registration center

उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री सतपाल महारज गुरुवार को अचानक ऋषिकुल मैदान स्थित चारधाम यात्रा (Chardham yatra) पंजीकरण केंद्र पहुंच गए. उनके इस औचक निरीक्षण से मौके पर मौजूद अधिकारी सक्रिय हो गए.

Chardham yatra पंजीकरण केन्द्र का निरीक्षण करने पहुंचे महाराज

मंत्री सतपाल महारज ने केंद्र पर यात्रियों के लिए की गई व्यवस्थाओं का स्थलीय जायजा लिया और अधिकारियों को निर्देश दिए कि किसी भी श्रद्धालु को पंजीकरण के दौरान कोई असुविधा न हो. निरीक्षण के दौरान सतपाल महाराज ने पंजीकरण काउंटर, प्रतीक्षा क्षेत्र, बैठने की व्यवस्था, पेयजल, शौचालय, चिकित्सा व सुरक्षा इंतजामों की विस्तार से समीक्षा की.

तीर्थयात्रियों की सुविधा है सर्वोच्च प्राथमिकता : महाराज

महाराज ने कहा कि तीर्थयात्रियों की सुविधा सर्वोच्च प्राथमिकता है और यह सुनिश्चित किया जाए कि हर श्रद्धालु अपने साथ सुखद अनुभव लेकर वापस लौटे. मंत्री ने केंद्र पर मौजूद देश-विदेश से आए श्रद्धालुओं से बातचीत कर उनका फीडबैक भी लिया. श्रद्धालुओं ने सरकार द्वारा की गई व्यवस्थाओं की सराहना की और पंजीकरण प्रक्रिया को सरल और सुविधाजनक बताया.

Maharaj arrived to inspect the Chardham Yatra registration center

31 लाख से ज्यादा यात्री करा चुके हैं पंजीकरण

सतपाल महाराज ने जानकारी देते हुए बताया कि अब तक 31,16,655 श्रद्धालु चारधाम यात्रा के लिए पंजीकरण करवा चुके हैं, जिसमें यमुनोत्री के लिए 5,08,041, गंगोत्री के लिए 5,59,272, केदारनाथ के लिए 10,40,901, बद्रीनाथ के लिए 9,46,619 व हेमकुंड साहिब के लिए 61,822 श्रद्धालु शामिल हैं. अब तक 11,55,386 श्रद्धालु दर्शन भी कर चुके हैं, जिसमें सबसे अधिक 4,53,414 केदारनाथ और 2,94,864 बद्रीनाथ में पहुंचे हैं. उन्होंने बताया कि हेमकुंड साहिब के दर्शन के लिए अब तक 61,822 पंजीकरण हुए हैं.

लिपुलेख दर्रे के जरिए होगी कैलाश मानसरोवर यात्रा

सीएम धामी ने किया ऐलान, अब टनकपुर से होगी कैलाश मानसरोवर यात्रा की शुरूआतकैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि 30 जून से कैलाश मानसरोवर यात्रा भी शुरू होने वाली है. इस बार यात्रा लिपुलेख दर्रे के जरिए होगी और 250 श्रद्धालु यात्रा पर जाएंगे. उन्होंने कहा कि सरकार ने ऐसी व्यवस्था की है कि भारत के सीमांत क्षेत्र लिपुलेख से ही श्रद्धालु कैलाश मानसरोवर के दर्शन कर सकें.

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