राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार के लिए अधिकारियों ने नहीं भेजे नाम, कैसे मिलेगा बच्चों को सम्मान ?

हर साल 26 जनवरी के पर देश के बहादुर बच्चों को राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है। जिसके लिए सभी राज्यों से केंद्र को नाम भेजे जाते हैं। लेकिन उत्तराखंड से इस बार एक भी नाम नहीं भेजे गए। जबकि प्रदेश में एक नहीं बल्कि कई ऐसे बहादुर बच्चे हैं जिन्होंने अपनी जान पर खेलकर दूसरों की जान बचाई है।

उत्तराखंड से किसी को भी नहीं मिलेगा राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार
उत्तराखंड से इस बार किसी को भी राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार नहीं मिलेगा। ऐसा इसलिए क्योंकि लास्ट डेट तक भी बच्चों के आवेदन ही नहीं भेजे गए। जिसका कारण अधिकारियों की लापरवाही है। प्रदेश में कई बहादुर बच्चे होने के बाद भी अधिकारियों ने इनके नाम नहीं भेजे।

कई बार मांगने पर भी अधिकारियों ने नहीं दिए नाम
राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार के लिए एक भी नाम ना भेजे जाने पर राज्य बाल कल्याण परिषद का कहना है कि उत्तराखंड के बहादुर बच्चों को गणतंत्र दिवस के दिन राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार मिल सके इसके लिए सभी जिलों के एसएसपी, डीएम, सीईओ, शिक्षा विभाग के निदेशक को कई बार पत्र भेजे गए। लेकिन इसके बाद भी उन्हें नाम नहीं दिए गए।

राज्य बाल कल्याण परिषद की महासचिव पुष्पा मानस ने बताया कि पूरे राज्य से केवल बागेश्वर जिले से एक नाम भेजा गया था। इसके अलावा अंतिम तिथि 31 अक्तूबर 2023 तक बहादुर बच्चों के आवेदन नहीं भेजे गए।

बागेश्वर जिले से नाम आया पर नहीं हुई जांच
राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार के लिए राज्य बाल कल्याण परिषद को बागेश्वर जिले के जीआईसी अमस्यारी के छात्र भाष्कर परिहार का नाम भेजा गया था। भाष्कर परिहार ने 24 अगस्त 2023 गुलदार से एक छात्रा की जान बचाई थी। बताया जा रहा है कि इस आवेदन को जांच के लिए सीईओ के पास भेजा गया था लेकिन अब तक उसकी जांच रिपोर्ट नहीं मिल पाई है।

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