अधजले शव गंगा में प्रवाहित करने को लोग मजबूर, वन विभाग की लापरवाही से लोगों में आक्रोश

उत्तरकाशी से हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। जहां पर अधजले शवों को गंगा में प्रवाहित किया जा रहा है। जिस कारण स्थानीय लोगों में आक्रोश देखने को मिल रहा है।

वन विभाग की लापरवाही से लोग परेशान
उत्तरकाशी में लोग वन विभाग की लापरवाही से परेशान हैं। यहां के आम लोगों के साथ दिवंगत लोगों के लिए भी वन विभाग ने खडा कर दिया है। उत्तरकाशी के लोगों को वन विभाग के कारण बड़े संकट से जूझना पड़ रहा है। दरअसल जनपद मुख्यालय मे वन विकास निगम के डिपो मे लकड़ी की कमी हो गई है। जिसके कारण जनपद के मोक्ष घाट पर बने वनविकास निगम के डिपो से शमशान घाट को आपूर्ति की जाने वाली लकडी उपलब्ध नही हो पा रही है।

अधजले शवों को गंगा में कर रहे प्रवाहित
जनपद मुख्यालय मे वन विकास निगम के डिपो मे लकड़ी की कमी होने के कारण लोगों को ना ही ठंड से बचाव के लिए जलाए जाने वाले अलाव के लिए लकड़ी मिल पा रही है और ना ही शवों को जलाने के लिए लकड़ी मिल पा रही है। जिस कारण लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। केदार घाट में तो आलम ये है कि शव को अधूरा जलाकर ही लोग मां गंगा मे विसर्जित कर रहे हैं। क्योंकि लोगों को थोड़ी ही लकड़ी दी जा रही है।

अधजले शव को मां गंगा मे विसर्जित करना लोगों की मजबूरी
लोगों का कहना है कि जो थोड़ी सी लकड़ी भी लोगों को दी जा रही है वो हरी यानी कच्ची है जिसको जलाना मुश्किल है। ऐसे में आधा अधूरा अंतिम संस्कार अधजले शव को मां गंगा मे विसर्जित करना मजबूरी बन गया है। जिसके पीछे कारण बताया जा रहा है कि वन निगम द्वारा कई बार वन विभाग से छापान कर सूखे पेड़ों एवं आवादी के बीच खतरा बने पेड़ों को काटने की अनुमति मांगी गई है।

लेकिन पिछले एक साल से वो अनुमति की फाइल देहरादून मे बैठे वनविभाग के अधिकारियों की टेवल से लगातार चक्कर काट रही है। ऐसे मे लाट उपलब्ध न होने के कारण वन विकास निगम के पास लकड़ियों की भारी कमी हो गयी है। वन विकास निगम के डी एल एम का कहना है कि वन संपदा से भरे इस जनपद मे पहली बार ऐसा संकट खडा हुआ है जिसमें जीवित व्यक्ति से लेकर मृत व्यक्ति तक परेशानी झेलने को मजबूर है। वहीं स्थानीय लोगों मे वन विभाग की इस लापरवाही पर गहरा आक्रोश बना हुआ है

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