नागालैंड का Formation day, जानें राज्य के बनने की कहानी

1 दिसंबर को हर साल नागालैंड अपना फॉमेशन डे मनाता है।
नागालैंड भारत के राज्य के रुप में शामिल हुआ था। नागालैंड का 1 दिसंबर,1963 को औपचारिक रुप से भारत संघ के 16वों राज्य के रूप में उद्घाटन किया गया था। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी आज नागालैंड को बधाई दी है।

काफी खास है नागालैंड के लिए 1 दिसंबर
नागालैंड राज्य में 1 दिसंबर काफी खास है क्योंकि इस दिन राज्य की 14 जनजातियां राजनीति में एकजुट होकर एक समूह बन गई थीं। उस समय नागा लोग लंबे समय से ब्रिटिश शासन से आजाद होना चाहते थे और इसके लिए उन्होनें काफी लंबे समय तक संघर्ष किया फिर इसके बाद उन्हें यह आजादी मिली। इससे उन्हें अपनी जमीन मिली साथ ही भारत सरकार ने नागालैंड राज्य अधिनियम के माध्यम से एक राज्य का दर्जा दिया।

भारत सरकार और नागालैंड के बीच था विवाद
बता दें कि इससे पहले नागालैंड और भारत सरकार के बीच काफी विवाद था। वहीं अंग्रेजों ने सभी जनजातियों को एक नियम के तहत एकसाथ लाने की कोशिश की, लेकिन वे भी ये नहीं कर सके क्योंकि कई गांवों ने इन आदेशों का पालन नहीं किया और वे लड़ाई पर अमादा हो गए।

1 दिसंबर 1963 को बना नगालैंड राज्य
साल 1961 में, नागालैंड ट्रांजिशनल प्रोविजन रगुलेशन नाम से एक कानून इस क्षेत्र में लागू किया गया था। इस कानून के मुताबिक, 45 लोगों का एक ग्रुप अपने-अपने तरीकों और परंपराओं का पालन करने वाली जनजातियों द्वारा चुना जाएगा। फिर साल 1962 में संसद द्वारा नागालैंड राज्य अधिनियम पारित करने के बाद नागालैंड राज्य अपने अस्तित्व में आया। फिर नागालैंड में अस्थायी सरकार 30 नवंबर, 1963 को भंग कर दी गई और 1 दिसंबर, 1963 को आधिकारिक तौर पर नागालैंड का एक राज्य के रूप में उद्घाटन हुआ, और कोहिमा को इस राज्य की राजधानी घोषित किया गया।

पहली निर्वाचित विधानसभा का 1964 में गठन
पहली निर्वाचित विधानसभा का गठन फरवरी 1964 में किया गया था, उस साल जनवरी में इस क्षेत्र में जमकर मतदान हुआ था। हालांकि बर्मा और भारत जैसी जगहों पर नागा विद्रोहियों और सरकार के बीच लड़ाई रोकने के लिए बातचीत और समझौते हुए पर हिंसा जारी रही। मार्च 1975 में, जब प्रत्यक्ष शासन लागू किया गया, तो प्रमुख विद्रोही समूह के कुछ नेताओं ने अपने हथियार छोड़ने और संविधान को स्वीकार करने का फैसला किया।

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