


नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने प्रदेश में बगैर पंजीकरण (रजिस्टर्ड) चल रहे मदरसों को लेकर अहम निर्देश दिए हैं। मदरसों की ओर से दायर करीब तीन दर्जन से अधिक याचिकाओं पर मंगलवार को सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने कहा कि बगैर मदरसा बोर्ड की अनुमति के संचालित हो रहे मदरसे अपने नाम के ऊपर मदरसा न लिखें, वरना जिला प्रशासन कार्रवाई कर सकता है। मामले में सुनवाई वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ ने की।
हाई कोर्ट ने मगंलवार को सुनवाई के बाद कहा कि यदि बगैर पंजीकरण के मदरसा लिखा मिलता है, तो जिला प्रशासन कार्रवाई कर सकता है। कोर्ट ने अब तक सील किए गए मदरसों की सील खोलने के भी निर्देश दिए हैं।
सरकार लेगी फैसला
इसके अलावा एकलपीठ ने इन मदरसों से कहा है कि वे अपना एक शपथपत्र सील करने वाली अथॉरिटी को इस आशय से देंगे, कि वे इसमें कोई शिक्षण संबंधी कार्य नहीं करेंगे। इनमें क्या खोला जाएगा, उसपर निर्णय राज्य सरकार लेगी।
सुनवाई पर मदरसों की ओर से कहा गया कि उनकी ओर से मदरसा बोर्ड में रजिस्ट्रेशन करने के लिए आवेदन किया गया है। अनुमति अभी तक उन्हें नहीं मिली। इसका विरोध करते हुए राज्य सरकार की ओर से कहा गया, कि प्रदेश में अभी तक 416 मदरसे ही मदरसा बोर्ड में पंजीकृत है। शेष जो मदरसे सील किए हैं वो बिना अनुमति के चल रहे थे।