केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने दवा कंपनियों के लिए दिशा निर्देश जारी किए हैं। इन निर्देशों में कहा गया है कि दवा निर्माता कंपनियों को अब दवाओं को वापस मंगाने पर इसकी पूरी जानकारी केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन को देनी होगी। दवाओं की गुणवत्ता की जिम्मेदारी निर्माता पर होगी। कोई दवा इस्तेमाल के लिए उपयुक्त है या नहीं, दवा के इस्तेमाल से किसी मरीज की जिंदगी खतरे में तो नहीं आएगी अब यह दवा निर्माता की जिम्मेदारी होगी। कंपनी अगर किसी दवा को वापस बुलाती है, तो उन्हें लाइसेंसिग अथॉरिटी को इसकी जानकारी देनी होगी। साथ ही उत्पाद में आई खराबी व उत्पादन की पूरी जानकारी देनी होगी। सरकार ने इस बारे में बीते 28 दिसंबर को एक अधिसूचना जारी कर कंपनियों को निर्देश दिया है।
जो दुनिया में स्वीकार्य हो ऐसी दवा बनाएं
नए दिशा निर्देशों में इस बात पर विशेष जोर दिया गया है कि छोटी दवा निर्माता कंपनियों तो वैश्विक मानकों के अनुरूप उत्पाद बनाने के लिए दवाओं की जांच भी दुनियाभर के मौसम के मुताबिक करनी चाहिए। दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि कंपनियां उच्च गुणवत्ता की दवाएं बनाएं, जिसकी दुनियाभक मे स्वीकार्यता हो। साथ ही तैयार दवा तभी बाजार में भेजी जाए जब सभी परिणाम संतोषजनक मिले।
रखने होंगे पर्याप्त नमूने
नई अधिसूचना में कहा गया है कि फिर से जांच के लिए या किसी बैच के सत्यापन के लिए कंपनियों को अंतिम उत्पाद के पर्याप्त नमूने रखे जाएं। केंद्रीय स्वास्थ्य़ मंत्रालय ने पिछले साल अगस्त में बताया था कि दिसंबर 2022 से अगस्त 2023 के दौरान 162 दवा फैक्टरियों का निरीक्षण किया गया। इनमें कच्चे माल की जांच नहीं की जा रही थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक भारत की 8,500 छोटी दवा फैक्टरियों में से एक- चौथाई से भी कम डब्लयूएचओ के मानकों पर खरी उतर पाएंगी।
नकली दवाओं से बच्चों की मौत के आरोप लगे
बता दें कि पिछले एक-दो वर्ष में भारत में बनी दवाओं से विदेश में बच्चों की मौत के आरोप लगे हैं। इसके चलते केंद्र सरकार ने फार्मा उघोग को गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए कहा, लेकिन इसके बाद भी कई मौकों पर घटिया और नकली दवाएं मिली हैं। इसके अलावा जांच में कई कंपनियों के सैंपल फेल हुए हैं। भारत की फार्मा इंडस्ट्री 5,000 करोड़ डॉलर की है। ऐसे में सरकार के लिए इस उघोग के दवाब में आए बिना लोगों के हित में नए मानकों को लागू करना चुनौतीपूर्ण होगा।