उत्तराखंड में काम कर रहे 24 हजार से ज्यादा कर्मचारियों के लिए सुप्रीम कोर्ट से खुशखबरी आई है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने राज्य के 25000 कर्मचारियों से जुड़े मामले में सरकार की एसएलपी खारिज कर दी है। जिसके बाद से उपनल कर्मचारियों में खुशी की लहर है। लेकिन इसके साथ ही सरकार के लिए बड़ी चुनौती भी खड़ी हो गई है।
उपनल कर्मियों को सुप्रीम कोर्ट से मिली खुशखबरी
उत्तराखंड के उपनल कर्मचारियों के लिए मंगलवार को अच्छी खबर सुप्रीम कोर्ट से आई। जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसको लेकर सरकार हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गई थी। दरअसल 2018 में हाईकोर्ट ने उपनल कर्मचारियों के हित में फैसला सुनाते हुए उपनल कर्मचारियों के हित में समान काम समान वेतन दिए जाने का फैसला सुनाया था।
इसके साथ ही नियमितीकरण को लेकर सरकार की जो गाइड लाइन नियमतिकरण को लेकर है उसके तहत उपनल कर्मचारियों को नियमितीकरण का फैसला सुनाया था। लेकिन उपनल कर्मचारियों के हक में जो फैसला हाईकोर्ट ने सुनाया था सरकार उसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट चले गई। लेकिन अब उपनल कर्मचारियों के हित मे सुप्रीम कोर्ट ने भी सरकार की याचिका को खारिज कर दिया है। जिसे सरकार के लिए झटका माना जा रहा है।
याचिका खारिज होने से उपनल कर्मियों में खुशी की लहर
उपनल कर्मचारी महासंघ के मीडिया प्रभारी प्रदीप चौहान का कहना है,कि सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की याचिका खारिज की है। उससे उपनल कर्मचारियों में खुशी है। सरकार को अब जल्द उपनल कर्मचारियों के हित मे निर्णय लेना चाहिए। उपनल कर्मचारी को नियति कारण करने के साथ ही स्थाई कर्मचारियों की भांति सभी लाभ देते हुए 2018 से एरियर का लाभ भी देना चाहिए।
उपनल कर्मचारियों का किया जाना चाहिए नियमितीकरण
उपनल कर्मचारी की हक में जिस तरीके से हाईकोर्ट ने 2018 में फैसला सुनाया था और अब सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की याचिका को खारिज किया है। उसे उपनल कर्मचारी में नियमितीकरण की जहां आस जगी है तो वहीं सरकार इस फैसले पर विधिक राय लेने की बात अब कर रही है। लेकिन विपक्ष के विधायक प्रीतम सिंह का कहना है कि सरकार को उपनल कर्मचारियों के हित में निर्णय लेकर नियमितीकरण करना चाहिए