वैदिक ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, हर एक ग्रह एक निश्चित समय अंतराल के बाद राशि बदलता है ऐसे में ग्रहों की चाल बदलने से योग और राजयोग का निर्माण होता है, इसी क्रम में देवगुरू बृहस्पति ने हंस महापुरूष राजयोग बनाया है, जो 3 राशियों के लिए लकी साबित होगा।
HANS RAJYOG 2025 : ज्योतिष शास्त्र में देवताओं के गुरू बृहस्पति की भूमिका बेहद अहम मानी जाती है। देवगुरू बृहस्पति हर 13 महीने में राशि बदलते है।गुरु कर्क राशि में उच्च और मकर राशि में नीच के होते है। गुरु ग्रह (बृहस्पति) धनु और मीन राशि के स्वामी है। ज्ञान, धर्म, और भाग्य के कारक ग्रह माने जाते हैं।वर्तमान में गुरू कर्क राशि में विराजमान है और 5 दिसंबर तक यहीं रहेंगे और फिर मिथुन में प्रवेश कर जाएंगे। देवगुरू बृहस्पति के 12 साल बाद अपनी उच्च राशि कर्क में आने पर हंस महापुरूष राजयोग बना है जिसका प्रभाव दिसंबर तक रहने वाला है।यह राजयोग 3 राशियों के लिए बेहद शुभ रहने वाला है।आईए जानते है इन भाग्यशाली राशियों के बारें में……….
हंस राजयोग का राशियों पर प्रभाव
कर्क राशि का प्रभाव : गुरू का गोचर और हंस राजयोग का बनना जातकों के लिए लाभप्रद सिद्ध हो सकता है। आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। शादीशुदा का वैवाहिक जीवन शानदार रहेगा। अविवाहितों के लिए विवाह के प्रस्ताव आ सकते है। नौकरी में प्रमोशन के साथ वेतनवृद्धि का लाभ मिल सकता है। बिजनेस में मुनाफा मिल सकता है। स्टूडेंट्स को पढ़ाई में सफलता मिलेगी। समाज में मान- सम्मान बढ़ेगा।
कन्या राशि का प्रभाव: हंस राजयोग का बनना जातकों के लिए फलदायी सिद्ध हो सकता है। आय में वृद्धि हो सकती है। इस अवधि में निवेश से लाभ मिल सकता हैं।आर्थिक स्थिति मजबूत होने लगेगी। अटका हुआ पैसा वापस मिल सकता है। नौकरी या बिजनेस में तरक्की के रास्ते खुलेंगे। संतान से जुड़ा कोई शुभ समाचार मिल सकता है।परिवार में खुशहाली आएगी। इस समय आपको शेयर बाजार सट्टा और लॉटरी में लाभ हो सकता है।
मिथुन राशि का प्रभाव: हंस राजयोग का बनना जातकों के लिए लकी सिद्ध हो सकता है।आकस्मिक धनलाभ के योग बन सकते है। जीवन में खुशियां दस्तक दे सकती है। शादीशुदा लोगों का वैवाहिक जीवन शानदार रहेगा। अविवाहित लोगों के लिए विवाह के प्रस्ताव आ सकते है। काम- कारोबार में तरक्की मिल सकती है। बेरोजगार लोगों को नौकरी मिल सकती है।
कुंडली में कब बनता है हंस राजयोग
वैदिक ज्योतिष में हंस राजयोग को शुभ माना जाता है।जब किसी की कुंडली में बृहस्पति लग्न हो और यहां से चंद्रमा से पहले, चौथे, सातवें और दसवें भाव में कर्क, धनु या मीन राशि में होता हैं तो हंस राजयोग का शुभ योग बनता है। जिस भी जातक की कुंडली में बृहस्पति केंद्र भाव में होकर मूल त्रिकोण स्वगृही और उच्च राशि का होता है तो हंस राजयोग का निर्माण होता है। इस तरह के राजयोग से जातकों के जीवन में अच्छी सफलता, सुख, समृद्धि और मान-सम्मान की प्राप्ति होती है।
(Disclaimer : यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं, ज्योतिष, पंचांग, धार्मिक ग्रंथों और जानकारियों पर आधारित है, किसी भी तरह की मान्यता-जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है।इसके सही और सिद्ध होने की प्रामाणिकता नहीं दे सकते हैं। इन पर अमल लाने से पहले अपने ज्योतिषाचार्य या पंडित से संपर्क करें)