उपनल कर्मचारियों के मामले में असमंजस में सरकार, अब उठाएगी कौन सा कदम ?, पढ़ें खास रिपोर्ट

उपनल कर्मी मामला

उत्तराखंड की धामी सरकार उपनल कर्मचारियों के नियमितीकरण और समान काम समान वेतन के निर्णय पर असमंजस में दिखती हुई नजर आ रही है। क्योंकि ये सवाल 22,000 उपनल कर्मचारियों से जुड़ा हुआ है। जिसके बाद सवाल उठ रहा है कि सरकार कौन सा कदम उठाने जा रही है ?

उपनल कर्मचारियों के मामले में असमंजस में सरकार

उपनल कर्मचारी के हित में हाई कोर्ट के फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट के द्वारा सरकार की याचिका खारिज होने के बाद अब धामी सरकार असमंजस की स्थिति में है। आखिरकार उपनल कर्मचारी के हित में सरकार निर्णय ले या फिर प्रदेश की आर्थिक की और आरक्षण का जो पेंच उपनल कर्मचारियों की नियुक्ति के समय नहीं अपनाया गया उसको देखते हुए पुनर्विचार याचिका दायर करें।

सरकार पुनर्विचार याचिका कर सकती है दायर

माना जा रह है कि सरकार हाईकोर्ट के फैसले खिलाफ अब पुनर्विचार याचिका दायर कर सकती है। लेकिन सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी का कहना है कि सरकार अभी विधिक राय ले रही है। विधिक राय के बाद ही सरकार कोई फैसला लेगी। हालांकि गणेश जोशी खुद मान रहे हैं कि कई तकनीकी पेंच सरकार के सामने भी है।

अध्ययन के बाद ही लिया जाएगा फैसला

सरकार के सामने उपनल कर्मचारियों के नियमितीकरण को लेकर कई दिक्कतें है। क्योंकि अगर सरकार उपनल कर्मचारियों को नियमितिकरण करती है तो फिर सरकार के सामने हर महीने वेतन के रूप में सरकारी खजाने पर बोझ बढ़ जाएगा। वहीं आरक्षण की अनदेखी उपनल कर्मचारियों की नियुक्ति में हुई है जिसे सुधारना मुश्किल है।

वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल का कहना है कि सरकार के पास अब दो ही रास्ते बचे हुए हैं या तो उपरांत कर्मचारी को लेकर जो निर्णय हाईकोर्ट के द्वारा दिया गया है उसे अपनाया जाए या फिर रिव्यू पिटिशन दायर की जाए। पूरे मामले का अध्ययन किया जा रहा है इसके बाद कोई निर्णय लिया जाएगा।

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