नैनीताल the misaile news
हाई कोर्ट ने आज एक सुनवाई के मामले में सरकार से जवाब मांगा है सामाजिक कार्यकर्ताओं की ओर से दायर की गई जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए नैनीताल हाई कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी समेत दो जजों की पीठ ने मामले पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से पूछा है कि कमिश्नर द्वारा दी गई रिपोर्ट के बावजूद कार्यवाही क्यों नहीं की गई । सरकार से अगली 21 अगस्त को इस मामले में जवाब दाखिल करने को कहा गया है इस मामले में नैनीताल दुग्ध संघ के अध्यक्ष पर कई अन्य आरोप लगे हैं तथा उनके खिलाफ फिलहाल कार्रवाई नहीं होने से याचिकाकर्ता कोर्ट में अपनी बात रखी हैं ।
नैनीताल हाईकोर्ट ने नैनीताल दुग्ध उत्पादक संघ लालकुआं में फर्जीवाड़े और कैमिकल युक्त दूग्ध की सप्लाई के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद राज्य सरकार से पूछा है कि पूर्व में कमिश्नर की ओर से दी गई जांच में दोषी पाए गए लोगों के खिलाफ अब तक की गई कार्यवाही की विस्तृत रिपोर्ट पेश करने को कहा है। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 21 अगस्त की तिथि नियत की है।
मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी एवं न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। मामले के अनुसार लालकुआं निवासी नरेंद्र सिंह कार्की व भुवन चन्द्र पोखरिया ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि नैनीताल दुग्ध संघ में चरम सीमा पर भ्रष्टाचार कर लोगों की सेहत से खिलवाड़ किया जा रहा है जिसमें प्रदेशवासियों को अधोमानक दूग्ध की सप्लाई की जा रही है। जिसके पीने से लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है जिसमें वर्ष 2020 के अंतिम 3 माह में लगभग 7 लाख लीटर दूध जांच के दौरान सभी मानकों में फेल होने के बावजूद प्रदेश भर में दूग्ध की सप्लाई की गई।
याचिकाकर्ता का यह भी कहना था कि दुग्ध उत्पादन संघ के चेयरमैन फर्जी तरीके से मेंबरशिप अर्जित कर चेयरमैन बने हुए है। इन्होंने कभी भी संघ के लिए दूग्ध की सप्लाई नहीं की है। चेयरमैन पर यह भी आरोप है कि दुग्ध सप्लाई के लिए जिन टैंकरों का उपयोग किया जा रहा है उनका ठेका अपने भाई के नाम से लिया हुआ है। आज सुनवाई पर भुवन चन्द्र पोखरिया ने शपथपत्र पेश कर कुमाऊं कमिश्नर द्वार की गई जांच रिपोर्ट कोर्ट में पेश की।
जांच रिपोर्ट में कहा गया कि कुमाऊं कमिश्नर ने 19 अक्टूबर 2023 को इस मामले की जाच करके सरकार को रिपोर्ट भेज दी। लेकिन अभी तक सरकार ने इस रिपोर्ट के आधार पर दोषियों के खिलाफ कोई कार्यवाही नही की और न ही इसका संज्ञान लिया। जबकि रिपोर्ट में दूग्ध के सारे सैंपल मानकों के विपरीत पाए गए। दूग्ध में एल्कोहॉल, कास्टिक सोडा, मैलालाइन की मात्रा अधिक पाई गई।