सुप्रीम कोर्ट ने शादी का वादा कर एक विवाहित महिला से दुष्कर्म करने के आरोपी को बुधवार को बरी कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि महिला अपने कार्यो के परिणाम को समझने के लिए काफी परिपक्व है। जस्टिस सी टी कुमार और जस्टिस राजेश बिंदल की पीठ ने यह भी कहा कि आपाराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 164 के तहत दर्ज एफआईआर और शिकायतकर्ता के बयान में विसंगतियां थी। आरोपी विनोद गुप्ता की ओर से पेश वकील अश्विनी कुमार दुबे ने कहा कि एफआईआर कुछ और नहीं बल्कि कानून की प्रक्रिया का दुरुप्रयोग है क्योंकि दोनों के बीच शारीरिक संबंध सहमति से बने थे।
शिकायतकर्ता एक विवाहित महिला है जिसकी 15 साल की बेटी है और वह अपने माता-पिता के साथ रहती है। उन्होनें कहा, अपीलकर्ता द्वारा उससे किए गए शादी के वादे का कोई सवाल ही नहीं उठता। शीर्ष अदालत ने एफआईआर को रद्द करते हुए कहा, महिला इतनी परिपक्व और समझदार थी कि उन नैतिक और अनैतिक कृत्यों के परिणामों को समझ सकती थी, जिनके लिए उसने अपनी पिछली शादी के दौरान सहमति दी थी। वास्तव में यह उसके पति को धोखा देने का मामला था।
FIR में महिला की शिकायत
एफआईआर के मुताबिक महिला ने बताया कि वह अपनी कपड़े की दुकान संभालती थी। विवाद के बाद वह और उसका पति अलग-अलग रहने लगे। 10 दिसंबर 2018 को महिला को अपने पति से तलाक मिल गया। साल 2017 में गुप्ता ने महिला से उसके घर की पहली मंजिल किराए पर लेने के लिए संपर्क किया और दोनों के बीच धीरे-धीरे शारीरिक संबंध बन गए। क्योंकि महिला अपने पति के साथ नहीं रह रही थी, इसलिए गुप्ता ने तलाक मिलने पर उससे शादी करने का प्रस्वात रखा। जब महिला ने तलाक के बाद शादी करने की बात गुप्ता से कही तो गुप्ता ने महिला से कहा कि उसका परिवार सहमत नहीं है और आखिरकार 11 दिसंबर को उसने शादी करने से इंकार कर दिया।