उत्तराखंड में हर त्यौहार बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है। जहां एक ओर दिवाली के 11 दिन बाद इगास का त्यौहार धूमधाम से मनाया जाता है। तो वहीं दिवाली के एक महीने बाद जौनसार में फिर से दिवाली मनाई जाती है जिसे की बूढ़ी दिवाली कहा जाता है। ये दिवाली पांच दिनों तक मनाई जाती है।
जौनसार एक महीने बाद मनाई जाती है बूढ़ी दिवाली
उत्तराखंड के जौनसार में दिवाली के एक महीने बाद फिर से दिवाली का त्यौहार मनाया जाता है। ये परंपरा सदियों से चली आ रही है जिसे आज भी लोग निभा रहे हैं। बता दें कि जौनसार बावर जनजातीय क्षेत्र है। ऐसा कहा जाता है कि यहां भगवान श्रीराम के अयोध्या लौटने की सूचना देर से मिली। जिस कारण यहां दिवाली देर से मनाई जाती है।
एक महीने बाद क्यों मनाई जाती है दिवाली
जहां एक ओर ये कहा जाता है कि भगवान राम के वनवास से अयोध्या लौटने की सूचना जौनसार में देर से मिली इसलिए यहां दिवाली एक महीने बाद मनाई जाती है। तो वहीं दूसरी ओर कुछ लोगों का मानना है कि जौनसार बावर एक कृषि प्रधान क्षेत्र है और यहां सालभर काफी काम होता है। जिस कारण यहां लोग दिवाली के समय अपने काम में काफी व्यस्त रहते हैं। इस दौरान फसलें होती थी इसलिए एक महीने बाद अपने काम निपटाने के बाद लोग बूढ़ी दीवाली का जश्न परंपरागत तरीके से मनाते हैं।
पांच दिनों तक मनाई जाती है दिवाली
आपको बता दें कि दिवाली के ठीक एक महीने बाद यहां लोग पांच दिनों तक परंपरागत तरीके से दिवाली मनाते हैं। ये दिवाली पूरी तरह इको फ्रेंडली होती है। जौनसार बावर का हर गांव बूढ़ी दीपावली या दिवाली पर गुलजार रहता है। सभी लोग अपने गांव दिवाली मनाने के लिए जाते हैं। प्रवासियों के लौटने के कारण पूरे जौनसार बावर में अलग ही रौनक देखने को मिलती है।